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कब है गणेश चतुर्थी, जानें गणपति की पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

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लखनऊ। सनातन परंपरा में भाद्रपद मास के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि का बहुत ज्यादा महत्व है क्योंकि पौराणिक मान्यता के अनुसार इसी दिन ऋद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. इसी पावन तिथि से गणपति बप्पा की पूजा से जुड़ा 10 दिनी गणेश उत्सव प्रारंभ होता है. प्रथम पूजनीय माने जाने वाले गणपति के बारे में मान्यता है कि उनकी पूजा से जीवन से जुड़ी बड़ी से बड़ी परेशानी पलक झपकते दूर हो जाती है. यही कारण है कि गणेश उत्सव का पावन पर्व महाराष्ट्र समेत पूरे भारत में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है.आइए भगवान श्री गणेश की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ मानी जाने वाली गणेश चतुर्थी की तिथि, गणपति स्थापना का शुभ मुहूर्त और धार्मिक महत्व आदि के बारे में विस्तार से जानते हैं.
जीवन से जुड़े दु:ख और दुर्भाग्य को दूर करके सुख-सौभाग्य प्रदान करने वाले गणपति का पावन उत्सव इस साल 31 अगस्त 2022 से प्रारंभ होकर 09 सितंबर 2022 को अनंत चतुर्दशी तक मनाया जाएगा. मान्यता है कि इन 10 दिनोंं में की जाने वाली पूजा से प्रसन्न होकर गणपति अपने भक्तों का घर धन-धान्य और खुशियों से भर देते हैं. इस साल यह पावन उत्सव बुधवार के दिन प्रारंभ हो रहा है, जो कि भगवान गणेश की पूजा के लिए अत्यंत ही शुभ माना जाता है.
पंंचांग के अनुसार गणपति कृपा बरसाने वाली भाद्रपद मास की पावन चतुर्थी 30 अगस्त 2022 को दोपहर 03:33 बजे से प्रारंभ होकर 31 अगस्त 2022 को दोपहर 03:22 तक रहेगी. ऐसे में उदया तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी का पावन व्रत एवं पूजन 31 अगस्त 2022 को रखा जाएगा.
पौराणिक मान्यता के अनुसार गणपति का जन्म मध्याह्न यानि दोपहर के समय हुआ था, इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन इसी समय गणपति की पूजा करना अत्यंत ही शुभ और फलदायी माना जाता है. पंचांग के अनुसार गणपति की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 31 अगस्त 2022 को प्रात:काल 11:05 से दोपहर 01:38 बजे के बीच बन रहा है.
गणेश चतुर्थी के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान करने के बाद सबसे पहले गणपति के लिए रखे जाने वाले व्रत का संकल्प लें और उसके बाद मध्याह्न काल में किसी चौकी पर लाल कपड़ा या आसन बिछाकर गणपति की मूर्ति प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद गणपति को दूर्वा, फूल, फल, अक्षत, पान, सुपाड़ी आदि चढ़ाने के बाद उनका मनपसंद भोग यानि मोदक चढ़ाए और गणपति अथर्वशीर्ष अथवा गणेश चालीसा का पाठ करें. सबसे अंत में गणेश जी की आरती करने के बाद अधिक से अधिक लोगों को प्रसाद बांटें और खुद भी ग्रहण करें.
गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन नहीं किया जाता है. मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने पर भविष्य में कलंक या फिर कहें तमाम तरह के झूठे आरोप लगने का खतरा रहता है, इसलिए इस दिन भूलकर भी चंद्रमा न देखें.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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