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लखनऊ। आज से शारदीय नवरात्रि शुरू हो गई है. मां के भक्तों के लिए यह दिन एक बड़े त्यौहार जैसे होता है और भक्तों की मां के प्रति आस्था विश्वास के इन दिनों में मां के नौ रूपों को पूजा जाता है. हर रूप में मां अपने भक्तों को आशीर्वाद देती है और उन्हें फलीभूत करती हैं. शारदीय नवरात्रि में कानपुर के विभिन्न मंदिरों में भक्तों का जन सैलाब उमड़ता है. चाहे वह छिन्नमस्ता मां हो या तपेश्वरी मां या काली कलकत्ते वाली या फिर बुद्धा देवी मां के मंदिर हो. वैसे तो आपने हर मंदिर में सुना होगा की भक्त मां को फल-फूल नारियल मिष्ठान का भोग लगाते हैं.
लेकिन कानपुर के सभी मंदिरों के बीच मूलगंज की सकरी गलियों में बना बुद्धा देवी मंदिर जो कि हटिया बाजार में पड़ता है. काफी अलग है. वैसे तो हटिया बाजार एक बड़ी खोया मंडी के रूप में जानी जाती है, लेकिन बुद्धा देवी मंदिर की इस अनोखी परंपरा से भी यहां की पहचान बहुत बड़ी है. बुद्धा देवी मंदिर पर अन्य मंदिरों की तरह फल फूल नारियल तो चढ़ाए जाते हैं लेकिन मिष्ठान की जगह जहां पर माता का भोग के लिए हरी सब्जियों उपयोग किया जाता है.
कानपुर के बुद्धा देवी मंदिर के बाहर फल फूल नारियल के साथ हरी सब्जियों का लगभग 75 साल से व्यापार कर रही सावित्री बताती हैं कि हरी सब्जियों के भोग के पीछे एक बात यह है कि भक्त माता को हरी सब्जियों का भोग लगा अपने परिवार बच्चों के हरे भरे रहने की कामना करते हैं. उनका यह भी कहना है कि यहां कोई मां की मूर्ति नहीं पिंडी पूजी जाती है.
ऐसी मान्यता है कि ये मंदिर आज से 200 साल पहले बना था. जहां ये मंदिर बना था वहां पहले हरा भरा बगीचा हुआ करता था, और यहां पर हरी सब्जियों की पैदावार होती थी. सब्जियों के बगीचे की देखरेख करने वालों को देवी मां ने स्वप्न में आ कर बताया कि वो यहां पर जमीन में दबी हुई हैं. जिसके बाद देवी बुद्धा मां की पिंडियों को जमीन से निकाला गया और यहां पर स्थापित किया गया.
उसके बाद से ही बुद्धा देवी मां के ऊपर हरी सब्जियों का प्रसाद चढ़ाए जाने की परंपरा शुरू हो गई. मंदिर में दर्शन के लिए आई महिलाओं ने बातचीत में बताया कि यहां पर वो कई सालों से दर्शन के लिए आ रही हैं. बच्चों और परिवार की उन्नति के लिए सभी माताएं हरी सब्जियों का प्रसाद चढ़ाती हैं.