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…तो आईएसआईएस की प्रोपेगैंडावॉर में शामिल पीएफआई

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नई दिल्ली। पीएफआई का आईएसआईएस से कनेक्शन साल 2017 से पहले का है. आईएसआईएस में पीएफआई के सदस्य अलग-अलग देशों के रूट के जरिए जाकर शामिल हुए थे. पीएफआई ने केरल के युवकों को आईएसआईएस में रिक्रूट किया था. ईराक सीरिया से आईएसआईएस पस्त हो गया, लेकिन पीएफआई की साजिशें नहीं थमी. भारत में आईएसआईएस का गढ़ बनवाने में पीएफआई जुटा था. पीएफआई दावाह और जेहाद के लिए युवाओं को रेडिक्लाइज कर रही थी और ब्रेनवाश हुए युवाओं को आईएसआईएस का भारत में काम सौपा जा रहा था.

दरअसल, आईएसआईएस का भारत में मुखपत्र वाइस आफ हिंद मैगजीन के पीछे भी पीएफआई के लोग थे. इस मैगजीन का इस्तेमाल आईएसआईएस अपना प्रोपेगैंडा फैलाने रैडिक्लाइज करने और स्लीपर सेल्स तक संदेश पहुंचाने के लिए करती थी. मैगजीन के सोर्स की जांच में जुटी एजेंसीज ने दिल्ली समेत कई राज्यों से पढ़े लिखे साफ्टवेयर इंजीनियर युवक और युवतियों को गिरफ्तार किया था, लेकिन मैगजीन के एडिशन आते रहे.
दरअसल, पीएफआई से जुड़े लोग उन युवाओं को टार्गेट कर रहे थे, जिनकी पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप पीएफआई ने दी थी और उनका ब्रेनवाश भी किया था. ऐसे युवाओं को मैगजीन के पब्लिकेशन के लिए रिक्रूट पीएफआई कर रही थी और उनको सॉफ्टवेयर हार्डवेयर फंडिंग के साथ अलग-अलग जगहों से आपरेट करने के लिए जगह भी उपलब्ध करवाई जा रही थी. पीएफआई पर छापों से पहले एनआईए ने एक साथ करीब 15 राज्यों में ठिकानों पर छापेमारी कर वाइस आफ हिंद के सभी सोर्स ध्वस्त किए थे और जांच में पीएफआई और आईएसआईएस के गठजोड़ के पुख्ता सबूत मिले थे, जिसके बाद पीएफआई पर स्ट्राइक की गई.

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