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…तो शापित है मोरबी, बार-बार हादसे के पीछे लोककथाओं में ये हैं कारण

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नई दिल्ली। गुजरात पुल हादसे के बाद प्रदेश के मोरबी शहर की काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, मोरबी में माच्छू नदी पर बने हुए पुल के गिर जाने से 141 लोगों की मौत हो गई है. मोरबी में हुआ ये हादसा कई साल पहले आई बाढ़ का याद दिलाता है, जब मोरबी में बाढ़ से काफी लोग (करीब डेढ़ हजार ) मारे गए थे. उस दौरान कई मकान गिर गए थे और बड़ी संख्या में लोग डूबकर मर गए थे. हालांकि मोरबी आपदाओं का सामना करता रहा है और फिर से हर बार खड़ा होता रहा है. कहा जाता है कि मोरबी में होने वाली भारी तबाही की भविष्यवाणी लोक कथाओं और लोकगीतों में होती रही है.
गुजरात के जडेजा राजाओं की तमाम लोककथाओं में मोरबी में होने वाले हादसों के पीछे एक श्राप की कहानी आती है. इस श्राप की कहानी लोकगीतों में भी सुनाई देती है, जो यहां के चारण लोगों की गीतों में मिल जाते हैं. वहीं, इन हादसों को लेकर कुछ कथाएं भी सुनी जाती हैं, जो बताती है कि आने वाले वक्त में मोरबी में ऐसे हादसे हो सकते हैं. अब इस हादसे के होने के बाद इन लोककथाओं से ही इन्हें जोडक़र देखा जा रहा है.

जानिए क्या है कहानी?

कहा जाता है कि मोरबी के राजा जीयाजी जडेजा एक औरत की ओर आकर्षित हो गए थे और उस औरत को ये अच्छा नहीं लगता था. लेकिन, राजा नहीं माने और लगातार औरत को परेशान करते रहे. राजा से परेशान होकर औरत माच्छू नदी में कूद गई और जान दे दी. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, उसने डूबने से पहले कहा था- सात पीढिय़ां जायेंगी फिर ना तुम्हारा वंश रहेगा, ना तुम्हारा शहर. ये भी कहा जाता है कि इस कहानी को लेकर कई लोकगीत भी बने हैं. अब कहा जाता है कि इस श्राप के बाद से राजा का वंश भी खत्म हो गया.
बताया जाता है कि 1978 में जब ये बांध पूरा हुआ जीयाजी के सातवें वंशज मयूरध्वज यूरोप में एक बार में किसी से लड़ पड़े और उनकी जान चली गई. फिर अगले साल इस शहर में बाढ़ भी आ गई. इससे भी काफी लोगों की मौत हो गई और कई पशु पानी में बह गए. अब यहां के लोगों का मानना है कि इस श्राप की वजह से ऐसा होता है और यहां ऐसे ही आपदाएं आती रहेंगी.
कुछ मीडिया की खबरों में यह दावा किया जा रहा है कि उन्होंने वहां पर स्थानीय लोगों से बातचीत की जिसके अनुसार रिटायर्ड पुलिस ऑफिसर दिनेशभाई गढ़वी ने बताया, ‘ऐसा कोई लिखित प्रमाण नहीं है, लेकिन यहां के लोग कहते हैं कि किसी श्राप के वजह से यहां आपदाएं आती हैं.’
उन्होंने बताया, ‘लोक कथाओं के अनुसार, राजा को किसी महिला ने वंश खत्म होने का श्राप दिया था. ऐसी ही एक कहानी से जुड़ी एक फिल्म भी बनी है, जिसका नाम माछु तारा वेहता पानी है. इस फिल्म में भी इस नदी की कहानी बताई गई है.’
बता दें कि साल 1979 में यहां काफी भयानक बाढ़ आई थी. बारिश होने के कारण मच्छु बांध टूट गया था. इसके बाद मच्छू नदी के पानी ने पूरे शहर को अपने आगोश में ले लिया. इससे मकान गिर गए तो कहीं लोग पानी में डूबकर मर गए. उस हादसे में 1439 लोगों की मौत हुई थी. वहीं 12 हजार 849 हजार से अधिक पशु भी मौत के शिकार हो गए थे.

 

 

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