Breaking News

सुप्रीम कोर्ट को लेकर निजाम पाशा ने कही ये बात

Getting your Trinity Audio player ready...

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के वकील निजाम पाशा ने देश की सबसे बड़ी अदालत की ओर से कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी मामले में दिए गए फैसले पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का कर्तव्य है कि वो सरकार के फैसलों पर सवाल उठाए, ना कि सवालों उठाने वालों को ही डांटे. उनका कहना है कि उन्हें सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सबसे ज्यादा परेशान करने वाली उसकी टिप्पणियां हैं.
वकील निजाम पाशा ने सवाल पूछते हुए कहा कि गुजरात दंगा 2002 में आखिर सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में पीएम नरेंद्र मोदी को क्यों क्लीन चिट दे दी. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि ये पूरी साजिश थी जिसमें राज्य की पूरी मशीनरी शामिल थी. उनका कहना है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ली गई बैठक पर कोई बहस नहीं की गई. लेकिन कोर्ट ने अपने फैसले में उसी मसले को उठाते हुए बताया गया कि उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया.
इससे पहले कांग्रेस नेता एहसान जाफरी के बेटे तनवीर जाफरी ने जून में सुप्रीम कोर्ट की ओर से दिए गए फैसले पर निराशा जताते हुए कहा कि वह 2002 में हुए गुजरात दंगों के मामलों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी और अन्य को एसआईटी की तरफ से क्लीन चिट दिए जाने के खिलाफ याचिका खारिज करने के कोर्ट के निर्णय से निराश हैं.

गुजरात दंगों के दौरान एहसान जाफरी की हत्या कर दी गई थी. हत्या के बाद एहसान की पत्नी जकिया जाफरी की ओर से नरेंद्र मोदी और 63 अन्य को क्लीन चिट देने वाली विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट को चुनौती देते हुए याचिका दाखिल की गई थी.
तनवीर जाफरी ने कहा था, मैं अदालत के फैसले से निराश हूं. चूंकि मैं देश से बाहर हूं, इसलिये निर्णय का अध्ययन करने के बाद मैं विस्तृत बयान दूंगा. कोर्ट के फैसले के बाद गुजरात में ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अर्जुन मोढवाडय़िा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को मानने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं है. उन्होंने कहा, दंगों के दौरान कई लोगों को जिंदा जला दिया गया था. मारे जाने वालों में हमारी पार्टी के पूर्व सांसद एहसान जाफरी भी थे. उनकी पत्नी जकिया न्याय पाने की उम्मीद में 85 साल की उम्र में भी यह केस लड़ रही थीं. लेकिन अब, उनके पास सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं रह गया है.
पूर्व सांसद एहसान जाफरी 2002 में 28 फरवरी को अहमदाबाद में गुलबर्ग सोसाइटी में दंगे में मारे गए 68 लोगों में शामिल थे. इस घटना से एक दिन पहले गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस के एक डिब्बे में आग लगा दी गई थी, जिसमें 59 यात्री मारे गए. फिर इन घटनाओं के बाद ही गुजरात में हिंसा भडक़ गई और फिर दंगे शुरू हो गए थे. सुप्रीम कोर्ट ने 24 जून को गुजरात दंगों के पीछे एक बड़ी साजिश का आरोप लगाने से संबंधित जकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी थी.

Check Also

NAAC से A++ प्राप्त करने वाला उत्तर प्रदेश का पहला चिकित्सा संस्थान बना एसजीपीजीआई

Getting your Trinity Audio player ready... लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ःसंजय गाँधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ को …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *