Breaking News

अंडा खाने वाले सावधान! आई गई है यह खबर

Getting your Trinity Audio player ready...

लखनऊ। जिस तरह बगीचे में उगाई गई सब्जी को सबसे शुद्ध माना जाता है उसी तरह के घर में पले जानवरों से मिलने वाले दूध और अंडे को सबसे बेहतर माना जाता है क्योंकि ये सबकुछ आपकी देखरेख में होता है. लेकिन मुर्गी पालन के मामले में ऐसा नहीं है. नई रिसर्च कहती है, पॉल्ट्री फार्म के मुकाबले घर की मुर्गी के अंडे खाना ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.साइंस डायरेक्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, अंडों का सिर्फ ताजा होना ही उसके शुद्ध होने की निशानी नहीं है. इसमें एक खतरा और भी है. ऑस्ट्रेलिया में मुर्गियों पर हुई रिसर्च में यह बात सामने आई.घर में पली मुर्गियों के अंडों से कितना खतरा है और इनके अंडों से पैदा होने वाले खतरे की वजह क्या है? इन पॉइंट में जानिए इन सवालों के जवाब…
रिसर्च के लिए ऑस्ट्रेलिया के 25 हजार घरों के बगीचे से मिट्टी के सैम्पल लिए गए. इनमें सिडनी के 55 घरों की मिट्टी को शामिल किया गया. रिपोर्ट में सामने आया कि पॉल्ट्री में पाली जाने वाली मुर्गियों के मुकाबले घर की मुर्गियों के अंडों में सीसा यानी लेड 40 फीसदी तक अधिक मिला है. सिडनी की हर दो में से एक मुर्गी में लेड पाया गया.
घरों में पलने वाली मुर्गी और उनके अंडों में भी लेड पाया गया है. जो इंसानों के लिए खतरनाक है. रिसर्च के नतीजे इसलिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही 4 लाख लोग मुर्गी पालन करते हैं और इनके अंडों को बड़े स्तर पर बेचा जाता है. रिसर्च में साबित हुआ कि घर में पली मुर्गियों के अंडे भी उतने सुरक्षित नहीं हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है, लेड इंसानों के लिए कई तरह से खतरनाक है. यह ब्लड प्रेशर को बढ़ाता है, किडनी डैमेज कर सकता है, दिल की बीमारी की वजह बन सकता है और आईक्यू लेवल को भी घटा सकता है. इसके अलावा महिलाओं में यह मिस्कैरेज यानी गर्भपात की वजह भी बन सकता है.
शोधकर्ताओं का कहना है मुर्गियों में खतरनाक लेड मिट्टी के जरिए पहुंचा. मुर्गियां आमतौर पर मिट्टी में पड़ी चीजें खाती हैं और मिट्टी को खरोंचती हैं. इस तरह उनके शरीर में लेड की एंट्री होती है. शरीर में पहुंचने के बाद अंडों में भी इसकी मात्रा पाई गई. रिसर्च के दौरान पाया गया कि मुर्गियों के भोजन और पानी तक में लेड की मात्रा मौजूद है. ऑस्ट्रेलिया में लिए गए सैम्पल की जांच में इसकी पुष्टि हुई है.
रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक, 20 माइक्रोग्राम प्रति डेसीलीटर (द्ब्रद्द/स्ररु) या इससे अधिक लेड की मात्रा नुकसान पहुंचाती है. घर में पहले वाली मुर्गियों में जांच में सामने आया कि इनमें लेड 20 माइक्रोग्राम/डीएल से अधिक था.

Check Also

आईएएस अधिकारी ले, टीबी मरीजों को गोद -राज्यपाल

Getting your Trinity Audio player ready... लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः उत्तर प्रदेश सर्वाधिक आबादी वाला प्रदेश …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *