लखनऊ। कानपुर के बेकनगंज इलाके में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद हुए बवाल के पीछे चरमपंथी संगठन पीएफआई का नाम सामने आ रहा है। यही नहीं इस हिंसा के तार पश्चिम बंगाल और मणिपुर से भी जुड़ रहे हैं। पुलिस के मुताबिक पीएफआईने 3 जून को पश्चिम बंगाल और मणिपुर में बाजार बंद का आह्वान किया और उसी दिन कानपुर में जुमे की नमाज के बाद बाजार बंद कराने पर हिंसा भडक़ गई। कानपुर हिंसा में कई नेता जांच के दायरे में हैं। पुलिस घटना के 24 घंटे पहले तक की कॉल डिटेल्स खंगाल रही है। मुख्य आरोपियों के बैंक खातों के ट्रांजैक्शन की भी जांच की जा रही है। आरोपियों से मिले कुछ अहम दस्तावेजों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है।
शनिवार शाम पुलिस ने हिंसा के मुख्य आरोपियों को कोर्ट में पेश किया। पुलिस 14 दिन की रिमांड चाहती थी, लेकिन कोर्ट ने आरोपियों को जेल भेज दिया। हिंसा वाले इलाके के दो किमी दायरे में 1100 जवानों की तैनाती की गई है। जानकारी के मुताबिक हिंसा से पहले मौलानाओं की बैठक हुई थी। इन मौलानाओं ने बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी की मांग की थी। इस बैठक में हयात जफर हाशमी भी मौजूद था जो एम एम एस जौहर फैंस एसोसिएशन का अध्यक्ष भी है।
कानपुर हिंसा के मामले में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सख्त निर्देश के बाद पुलिस ने अब तक तीन एफआईआर दर्ज कर 36 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने बेगनगंज थाने में कुल तीन एफआईआर दर्ज की है। इस एफआईआर में जौहर फैंस एसोसिएशन के हयात जफर हाशमी, एहतशाम कबाड़ी, जीशान, आकिब, निजाम, अजीजुर, आमिर जावेद व इमरान काले समेत 40 नामजद और 1000 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया गया है। हत्या के प्रयास, सीएलए (7 लॉ क्रिमिनल एमेंडमेंट एक्ट), बलवा समेत अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। कानपुर हिंसा के मुख्य आरोपी हयात जफर हाशमी को एसटीएफ ने लखनऊ से गिरफ्तार कर किया।