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लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पोलियो एक संक्रामक बीमारी है। सामूहिक रूप से प्रयास से इस संक्रामक बीमारी का समाधान निकला है। देश में पल्स पोलियो अभियान इसी सामूहिक ताकत का एहसास कराता है। बीमारी में उपचार से महत्वपूर्ण बचाव होता है। प्रारम्भिक स्तर पर उचित कदम उठाते हुए लोगों को रोगों के प्रति जागरूक कर बड़ी संख्या मंे जनहानि से रोका जा सकता है।
मुख्यमंत्री आज यहां अपने सरकारी आवास पर पल्स पोलियो अभियान का शुभारम्भ करने के उपरान्त अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। उन्होंने 10 बच्चों को पोलियो ड्रॉप की खुराक पिलाकर पल्स पोलियो अभियान का शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ समाज ही सशक्त राष्ट्र की परिकल्पना को साकार कर सकता है। विगत 12 वर्षों से प्रदेश में पोलियो का कोई मामला देखने को नहीं मिला है। पल्स पोलियो अभियान को सफल बनाने के लिए गांवों, मोहल्लों में बूथ लगाने व जागरूकता के कार्यक्रम संचालित किए गए हैं। डब्ल्यूएचओ, यूनिसेफ तथा विभिन्न स्वयंसेवी संगठनों ने स्वास्थ्य विभाग के साथ सहभागी बनकर इस अभियान को नई ऊंचाई तक पहुंचाया है। इसके परिणाम हम सबके सामने हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि देश व प्रदेश को पोलियो मुक्त बनाने के लक्ष्य के प्रति समर्पित पल्स पोलियो अभियान आज से प्रारम्भ हो रहा है। इस अभियान के तहत 01 से 05 वर्ष तक के बच्चों को पोलियो की खुराक दी जाएगी। पोलियो अभियान के शुभारम्भ के अवसर पर पहले दिन 77 हजार से अधिक पोलियो बूथ बनाये गये हैं। दूसरे दिन से 48 हजार से अधिक सचल टीमें गठित कर घर-घर भेजी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि जब तक पूरी दुनिया इस बीमारी से मुक्त नहीं होगी, तब तक हमें सतर्कता की दृष्टि से इस कार्यक्रम से जुड़ना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में स्वास्थ्य के प्रति भारत की जागरूकता सफलता की नई कहानी कहती है। लोकतांत्रिक मूल्यों व आदर्शों के साथ जीवन जीते हुए 135 करोड़ लोग इस संक्रामक रोग से मुक्त हुए हैं। पोलियो रोग संक्रामक होने के कारण आसानी से एक जगह से दूसरी जगह फैल सकता है। पाकिस्तान, अफगानिस्तान व दुनिया के कुछ चुनिन्दा देशों में पोलियो पर नियंत्रण नहीं पाया जा सका है। इस दृष्टि से प्रतिवर्ष सतर्कता हेतु पोलियो उन्मूलन के लिए पल्स पोलियो अभियान शासन स्तर पर संचालित हो रहा है। दो बूंद पोलियो ड्रॉप पिलाने से बच्चे को जीवन पर्यन्त स्वस्थ रखा जा सकता है। लापरवाही करने पर यह शारीरिक रूप से दिव्यांग बना देता है, यह एक राष्ट्रीय क्षति है। भारत ने पोलियो उन्मूलन के लक्ष्य को एक दशक पहले ही प्राप्त कर लिया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में मध्य जुलाई से मध्य नवम्बर के बीच इंसेफेलाइटिस के प्रकोप की सम्भावना बनी रहती थी। प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा उठाये गये कदमों से इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण पाया गया है। इस वर्ष सितम्बर माह तक इंसेफेलाइटिस के मात्र 40 मरीज मिले हैं। इसमें 07 मरीज जापानी इंसेफेलाइटिस के तथा 33 एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिण्ड्रोम के हैं। इस वर्ष मृत्यु शून्य है। मौजूदा संसाधनों का सदुपयोग, अन्तर्विभागीय समन्वय तथा प्रत्येक स्तर पर क्लोज मॉनिटरिंग के कार्यक्रमों को प्रभावी ढंग से लागू करने का परिणाम सबके सामने है। इंसेफेलाइटिस पर नियंत्रण की कहानी प्रदेश के सफलतम मॉडल की ओर सबका ध्यान आकर्षित करती हैं। मुख्यमंत्री ने देश में संचारी रोग नियंत्रण के लिए विभिन्न प्रकार के कार्यक्रमों को संचालित करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति आभार जताते हुए कहा कि प्रदेश सरकार वर्ष में 03 बार संचारी रोग नियंत्रण का कार्यक्रम संचालित कर रही है। बरसात के मौसम में डेंगू, कालाजार, मलेरिया के मामले देखने को मिलते हैं। प्रदेश सरकार द्वारा इन रोगों पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त किया गया है। नेपाल के तराई व पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुछ जनपदों में इंसेफेलाइटिस का असर होता था। लखनऊ, कानपुर, आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा तथा अलीगढ़ जनपद डेंगू के प्रति संवेदनशील थे। बरेली और बदायूं के आस-पास के क्षेत्र मलेरिया केे प्रति संवेदनशील थे। बुन्देलखण्ड का क्षेत्र कालाजार के प्रति संवेदनशील था। प्रदेश सरकार द्वारा समय से किये गये प्रभावी प्रयास व जागरूकता के परिणामस्वरूप इन सभी संचारी रोगों पर प्रभावी नियंत्रण प्राप्त करने में सफलता प्राप्त हुई है। आज प्रदेश में सभी व्यक्ति सुरक्षित महसूस करते हैं।