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वास्तु शास्त्र के अनुसार जानें क्या कहती हैं आपके घर की दीवारें

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लखनऊ। वास्तु शास्त्र एक ऐसी शाखा है जो दिशा और दशा के अनुसार व्यक्ति को जीवन की हर छोटी बड़ी चीजों के जरिये साकारात्मकता, सफलता और सत्कर्म से जोडती है. माना जाता है कि घर में मौजूद हर वस्तु अगर वास्तु के मुताबिक हो तो जीवन में पॉजिटिव एनर्जी का संचार होता है लेकिन अगर वास्तु के अनुसार न हो तो नेगेटिविटी छाई रहती है. ठीक ऐसे ही, घर की दीवारों के बारे में भी वास्तु शास्त्र में बहुत कुछ बताया गया है. दरअसल, हर घर की दीवारें कुछ ऐसे संकेत देती हैं जो कहीं न कहीं घर की खुशहाली को इंपेक्ट करते हैं. इसलिए कहा जाता है कि घर की वॉल्स को जितना हो सके उतना मेंटेन करके रखना चाहिए.

– वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर की दीवारें हमेशा घर के मेन डोर से कम से कम तीन चौथाई ऊंची होनी चाहिए.
– वास्तु शास्त्र के मुताबिक आपके घर के पश्चिम और दक्षिण में बनीं दीवारें उत्तर और पूर्व में बनी दीवारों के मुकाबले 3 सेंटीमीटर ऊंची होनी चाहिए.
– जितना हो सके घर की दीवारों को साथ रखना चाहिए. गंदी दीवारें घर में नेगेटिव एनर्जी को बढ़ावा देती हैं.
– वहीं, अगर घर की दीवारों पर जाले बने हुए हैं तो फौरान साफ कर दें क्योंकि ये जाले न सिर्फ गंदगी को दर्शाते हैं बल्कि स्ट्रेस और होपलेस एनवायरनमेंट भी क्रिएट करते हैं.
– इसके अलावा घर को हमेशा टाइम टू टाइम सफेदी करवाते रहना चाहिए क्योंकि दीवार पर पड़े दाग धब्बे घर में तंगी और दरिद्रता आने के सूचक होते हैं.
– इसके साथ ही इस बात अक भी ध्यान रखें कि सफेदी कर वाते वक्त वास्तु के अनुसार रंग चुनें और अगर ऐसा संभव न हो तो कम से कम थोड़े चमक वाले रंग का चुनाव करें. ऐसा इसलिए क्योंकि हलके रंग घर में बीमारियों के बसने का संकेत देते हैं.

( इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. मॉडर्न ब्यूरोक्रेस इनकी पुष्टि नहीं करता है. किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इस पर अमल करें.)

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