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लखनऊ। अमूमन हर माता-पिता अपने बच्चे की बेहतर परवरिश के लिए हर कोशिश करते हैं. पेरेंट्स की केयर के बावजूद कभी-कभी बच्चे बीमार पड़ जाते हैं. आजकल बच्चे बाहर का ज्यादा खाते हैं और इस कारण उनका पेट अक्सर खराब रहता है. वैसे बच्चे को अगर वायरल हो जाए और उसे फीवर यानी बुखार आने की प्रॉब्लम को फेस करना पड़े, तो ये काफी तकलीफ पहुंचाता है. फीवर आने की कई वजह हो सकती हैं, जिसमें मौसम में बदलाव का काफी अहम रोल रहता हैं. डॉक्टर कहते हैं कि बॉडी टेंपरेचर अगर हवा से अलग होगा, तो ऐसे में फीवर या वायरल हो सकता है. बच्चे क्या बड़े भी बुखार आने पर टूट जाते हैं और उनका रूटीन बिगड़ जाता है.
बच्चों के फीवर से ग्रसित होने पर उसकी एक्स्ट्रा केयर करने की जरूरत होती है. वैसे पेरेंट्स बेस्ट रूटीन को फॉलो करके बच्चे को जल्दी रिकवर करवा सकते हैं. क्या आप भी ऐसे रूटीन की तलाश में हैं? हम आपकी इसमें मदद कर सकते हैं. जानें इसके बारे में…
बुखार आने पर बच्चे का ऐसा रखें रूटीन
1. सुबह उठते ही बच्चे को ज्यादा देर तक खाली पेट भूल से भी न रहने दें. चाहे उसका मन न हो या उल्टी का डर सता रहा हो, पर उसे कुछ न कुछ जरूर खिलाएं. नाश्ता काफी लाइट होना चाहिए. आप चाहे तो ब्रेकफास्ट में बच्चे को दलिया खिला सकते हैं.
2. नाश्ते में आप दलिया के अलावा रोस्टेड ब्रेड, ओट्स या फिर कॉर्न फ्लेक्स उसे खाने के लिए दे सकते हैं. नाश्ता जितना हेल्दी होगा, बच्चा उतनी ही जल्दी रिकवर करेगा, क्योंकि इससे बच्चे के शरीर में एनर्जी बन पाएगी और वह ठीक होने के लिए हिम्मत जुटा पाएगा.
3. ब्रेकफास्ट करने के बाद दो घंटे का अंतराल रखें और फिर बच्चे को फ्रूट काटकर खिलाएं. ध्यान रखें कि ये फ्रूट पहले से काटकर न रखे गए हो, क्योंकि पहले से कटे हुए फल फायदे के बजाय नुकसान पहुंचा सकते हैं. पेरेंट्स अक्सर कटे हुए फल खिलाने की भूल करते हैं.
4. लंच में बच्चे को दाल और एक हरी सब्जी जरूर खिलाएं. पतले फुलके बनाएं और कम से कम 2 फुलके बच्चे को जरूर खिलाएं. अगर आपका बच्चा साथ में सलाद खा सकता है, तो इसे भी थाली में शामिल करें.
5. लंच करने के बाद बच्चे को जरूर सुलाएं. अक्सर बच्चे थोड़ा ठीक होने पर फोन में लग जाते हैं, पर आप ऐसा न होने दें. बीमारी में इंसान जितना ज्यादा आराम करता है, उतनी जल्दी रिकवर करता है.
6. शाम में बच्चे को दूध पीने के लिए दें और रात में डिनर में उसे लाइट फूड ही खाने को दें. डिनर करने के करीब आधे घंटे बाद बच्चे को दवा खिला दें और उसे टाइम से सुला दें. हो सके, तो उसे सोने से पहले भी आधा गिलास गुनगुना दूध भी पिलाएं.
( इस लेख में दी गई जानकारियां सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं. मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी इनकी पुष्टि नहीं करता है. किसी विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद ही इस पर अमल करें.)