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विचारधारा के आधार पर सरकारी कर्मचारियों को विभाजित करना चाहती है सरकार- कांग्रेस

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लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः केंद्र सरकार ने 1966, 1970 और 1980 में तत्कालीन सरकारों ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस की गतिविधियों में हिस्सा लेने पर प्रतिबंध लगाया था। अब बीजेपी सरकार ने इन आदेशों में संशोधन किया है, जिससे अब सरकारी कर्मचारी आरएसएस के कार्यक्रम में हिस्सा ले सकते हैं। सरकार के इस फैसले का कांग्रेस ने विरोध जताया है, पार्टी के पिछड़ा वर्ग विभाग, के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि बीजेपी सरकार का यह निर्णय लोकतान्त्रिक व संवैधानिक मूल्यों के खिलाफ है अल्पसंख्यक विरोध का चोला ओढ़कर आरएसएस अपने जन्म से हिन्दुओं में पिछड़े दलित और आदिवासी वर्ग को संविधान द्वारा समान अधिकार दिए जाने का विरोधी संगठन रहा है, वर्षों तक आरएसएस द्वारा संविधान और तिरंगे को ना अपनाना देश में सार्वजानिक है।
पिछड़ा वर्ग विभाग, उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने कहा कि हाल ही संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में आरएसएस बीजेपी द्वारा संविधान और आरक्षण खत्म करने की कोशिश को राहुल गाँधी ने देश व्यापी जन जन तक पहुंचाया और उसका खामियाजा भी बीजेपी को भुगतना पड़ा, पिछले 10 वर्षों में भाजपा ने सभी संवैधानिक और स्वायत्त संस्थानों पर संस्थागत रूप से कब्जा करने के लिए आरएसएस का उपयोग किया है। केन्द्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों पर आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने पर लगा प्रतिबंध हटा कर सरकारी दफ्तरों के कर्मचारियों को विचारधारा के आधार पर विभाजित करना चाहते हैं। पिछड़ा वर्ग विभाग, उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कड़ा विरोध करते हुए कहा कि इस निर्णय से, खुलेतौर पर सरकारी कर्मचारियों में शाखाओं के माध्यम से सत्ता के करीब रहने और उनसे पद और पैसे का लाभ लेने की ऐसी होड़ मच जाएगी जिससे आम जनमानस खासकर पिछड़े दलित आदिवासी समाज के लोगों को प्रशासन में भेदभाव का सामना करना पड़ेगा। आरएसएस शाखाओं के माध्यम से अधिकारियों को कट्टर हिंदुत्व की ट्रेनिंग द्वारा जाति-पाति, पाखंड -अंधविश्वास का अपना कैडर देगा जिससे लोकतंत्र का पूरा प्रशासनिक ढांचा खतरे में आ जायेगा जिसमें न्याय की उम्मीद संभव नहीं दिखती और यह प्रयास देश में फांसीवाद आधारित मॉडल को प्रशासन द्वारा गाँव गाँव तक लागू कर सामाजिक और आर्थिक गैर बराबरी बढ़ाने के आरएसएस के मिशन को लागू करने की नीयत है। प्रदेश कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज आलम ने इस फैसले पर टिप्पणी देते हुए कहा कि देश में पंथ निरपेक्षता, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म, उपासना की स्वतंत्रता के साथ साथ राष्ट्र की एकता और अखंडता जैसे मूल्यों की रखवाली करने वाले प्रशासन को लाभ देकर आरएसएस द्वारा अपना औजार बनाकर इन मूल्यों को निम्न स्तर पर लाने की कोशिश दिखती है।

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