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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। उत्तर प्रदेश में डोलोस्टोन (गिट्टी) खनन से जुड़े व्यवसायी इन दिनों विभागीय नियमों में उलझ कर रह गये हैं, इस व्यापार से जुड़े व्यवसायी जो कल तक अपना व्यवसाय ठीक ढंग से करने के साथ ही सरकार को पूरी रायल्टी जमा कर रहे थे, उनके सामने आज आजीविका चलाने का संकट मंडराने लगा है, वजह परिवहन प्रपत्र(एम एम11) में किये गये बदलाव से उन्हें उम्मीद से ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा है। परिवहन प्रपत्र टन से घन मीटर में परिवर्तित होने से यह व्यवसाय चैपट होने की कगार पर आ गया है। इस व्यवसाय से जुड़े उद्यमी परिवहन प्रपत्र को घन मीटर से परिवर्तित कर टन(2.84) में बदलने की मांग को लेकर शासन में अपनी गुहान लगाने का मन बना रहे हैं।
प्रदेश के बिल्ली, माकुंडी जनपद सोनभद्र के पट्टाधारक और ट्रांसपोर्टर की माने तो शासन द्वारा बीती 18.9.23 को परिवहन प्रपत्र में टन से घन मीटर में किये गये बदलाव के कारण खनन व्यवसायी, क्रेशर व्यवसायियों और टंªासपोर्टरों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं इस बदलाव के कारण राजस्व की हानि भी हो रही है। व्यवसायियों की माने तो जब टन से परिवहन हो रहा था, तो सोनभद्र से गाड़ियां ज्यादा लोड हो रही थी, लेकिन जब से परिवहन प्रपत्र घन मीटर में परिवर्तित हुआ है तब से गाड़ियां दूसरे राज्यों माल लोड कर उप्र में भेज रही हैं, जिससे सरकार के राजस्व का क्षति पहुंच रही है। वहीं घन मीटर से परिवहन होने पर व्यसायियों का 60 प्रतिशत माल का परिवहन हो पाता है,जबकि 40 प्रतिशत माल का ई प्रपत्र न होन के कारण इसको अवैध मान लिया जाता है, जिससे पट्टा धारकों को सीधा नुकसान उठाना पड़ता है। वहीं खनिज परिवहन विभाग से वाहनों की लोडिंग क्षमता टन में पास है, लेकिन खनिज विभाग से खनिज का परिवहन लोडिंग घनमीटर में किया जाता है, जिससे खनिज के परिवहन में विसंगतियां उत्पन्न होती है, इसके साथ ही खनिज बैरियर पर वाहनों को चेक करने में टन और घनमीटर में अक्सर मतभेद बना रहता है। वहीं व्यवसायियों की माने तो प्रदेश के उप खनिजों पर रॉयल्टी व उसका परिवहन टन में निर्धारित किए जाने के लिए भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय द्वारा डोलोस्टोन सहित अन्य खनिजों के नमूने प्राप्त कर खनिजवार बल्क डेंसिटीध्डेंसिटी का निर्धारण किया गया और निर्धारण पर अंतरविभागीय परामर्श समिति की बैठक में यह मत स्थिर किया गया की खनिजों का परिवहन अन्य राज्यों की भांति वाहनों की भारवहन क्षमता के अनुसार टन के रूप में किए जाने से अन्य राज्यों एवं प्रदेश के अन्य विभागों के साथ समानता एवं समन्वय स्थापित किया जा सकेगा।

वहीं विभाग की निदेशक श्रीमती माला श्रीवास्तव से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह मामला मेरी जानकारी में नहीं है, अगर ऐसा कुछ है तो उसका परीक्षण करवाया जायेगा।
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