Getting your Trinity Audio player ready... |
नई दिल्ली। राजस्थान में पिछले कुछ समय से लंपी बीमारी का कहर लगातार जारी है. वहीं, सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, प्रदेशभऱ में करीब 40 हजार गौवंश की मौत हो चुकी है. जहां अभी तक प्रदेश भर में तकरीबन 9 लाख पशु लंपी बीमारी से संक्रमित चल रहे है. हालांकि, राजस्थान सरकार ने वैक्सीन भी उपलब्ध कराई है. मगर, पशुपालन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जिले में पशुओं का वैक्सीनेशन नहीं कराया जा सकता है.जहां लंपी स्किन वायरस की चपेट में आकर दुग्ध कारोबार को भारी नुकसान हुआ है. बता दें कि, चुरू के फोगां गांव में गायों को गायों को दफनाने के लिए गांव के बाहर जमीन खोदकर खाई बनाई गई है.
दरअसल, राजधानी जयपुर से करीब 280 किलोमीटर दूर रेतीले टीलों के बीच बसा चूरू जिले का फोगां गांव. जहां पर तकरीबन 1250 घर की बस्ती है. ऐसे में हजारों की संख्या में गायों को गड्ढे में दबाकर दफन किया हुआ है. जिन टीलों पर पर्यटक घूमते थे. वहां पर आज गायों के शवों की बदबू आती है. ग्रामीणों के अनुसार पहले से ही चारों ओऱ 150-150 फीट लंबी-लंबी खाई खोदी हुई है. जहां मृत को दफनाया जाना है. गांव के लोगों का कहना है कि बीते एक महीने में हजारों गायों को दफना चुके हैं.
वहीं, इस लंपी वायरस से संक्रमित पशुओं के नाक और मुंह से पानी व लार गिरने लगती है. इसके साथ ही उनको तेज बुखार होता है और ऐसे जानवर अपना भोजन खाना छोड़ देते है. वहीं, पशुओं की चमड़ी के नीचे पहले छोटे-छोटे दाने हो जाते हैं. यह दाने घाव में बदल जाते हैं. हालांकि, यह अधिकतर मवेशियों के मुंह, गर्दन और गुप्तांग के पास पाए जाते हैं.
बता दें कि, लंपी वायरस के बढ़ते कहर को देखते हुए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. इसके अलावा सरकार ने एडवाइजरी जारी कर पशुपालकों को कई सावधानियां बरतने की सलाह दी है. जिसमें गायों के लंपी वायरस से संक्रमित होने पर तुरंत नजदीक के पशु चिकित्सा अधिकारी को सूचित करने, संक्रमित गाय को स्वस्थ गायों से अलग करने, संक्रमित गायों की आवाजाही को प्रतिबंधित करने. साथ ही दुधारू पशुओं के आसपास मच्छरों, मक्खियों, घुनों आदि से बचाव के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करने के निर्देश दिए गए है.