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फिर सुर्खियों में ललित मोदी, विवादों से है पुराना नाता

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नई दिल्ली। साल 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग विवाद के बाद देश से फरार हो गए ललित मोदी गुरुवार को एक बार फिर सुर्खियों में आ गए. इस बार उन्होंने पूर्व मिस यूनिवर्स सुष्मिता सेन के साथ शादी की अफवाह उड़ाकर सुर्खियां बटोरीं. थोड़ी देर बाद इस पर सफाई देकर दोनों की नजदीकियां दिखा रही दोनों फोटो को डेट करना बताया. उन्होंने जल्द शादी की बात करके दोबारा हेडलाइंस हासिल की. राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष रहे ललित मोदी इस तरह की चर्चाओं खासकर विवादों को लेकर लंबे समय से सुर्खियों में रहते आए हैं.
क्रिकेट, बॉलीवुड, राजस्थान सरकार और नौकरशाही में उनकी पैठ ने ललित मोदी को कम समय में काफी ताकतवर और चर्चित हस्ती के तौर पर स्थापित कर दिया था. हालांकि, लोकप्रियता के साइड इफेक्ट से भी वह जूझे और अपने कारनामों की वजह से कई मुसीबतों से भी घिरे. आइए, अफवाहों से एक बार फिर सुर्खियों में शुमार ललित मोदी की तरक्की और विवादों के बारे में जानते हैं.
राजस्थान के नागौर जिले से क्रिकेट की दुनिया में कदम जमाने वाले ललित मोदी को राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष बनाने के लिए तत्कालीन राज्य सरकार ने नियम तक बदल दिए थे. क्योंकि ललित मोदी ने क्रिकेट के साथ-साथ राजस्थान सरकार और नौकरशाही पर भी जबरदस्त पकड़ बना ली थी. ललित मोदी ने साल 2002 में राजस्थान की नागौर जिला क्रिकेट संघ से अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. जीत के बावजूद ललित मोदी आरसीए के अध्यक्ष के लिए चुनाव नहीं लड़ पाए.
राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन पर उस समय किशोर रूंगटा के गुट का कब्जा था. उस समय आजीवन सदस्य भी वोट दे सकते थे. इनमें से अधिकतर सदस्य रूंगटा गुट के ही बनाए गए थे. ये हर बार किशोर रूंगटा को ही समर्थन देते थे. ऐसे में ललित मोदी की एंट्री पर ब्रेक लग गया था. राजस्थान में साल 2003 में बीजेपी की वसुंधरा सरकार बनने के बाद देश में पहली बार नया स्पोर्ट्स एक्ट बनाया गया. इसके जरिए आजीवन सदस्यों के वोटिंग के अधिकार को ही खत्म कर दिया गया.

राजस्थान क्रिकेट एसोसिएशन के इतिहास में पहली बार सिर्फ जिला संघ के पदाधिकारियों को वोटिंग के अधिकार दिए गए. इसके बाद ललित मोदी का रास्ता साफ हो गया और उन्होंने सालों से कब्जा जमाए रूंगटा ग्रुप को उखा?कर साल 2005 में अध्यक्ष पद पर पहली बार कब्जा किया. उस दौरान कहा गया कि ललित मोदी ने अध्यक्ष बनने के लिए अपने सियासी कनेक्शंस का इस्तेमाल किया है. अध्यक्ष रहते हुए ललित मोदी भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के उपाध्यक्ष भी बन गए.
ललित मोदी ने साल 2008 में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट इंडियन प्रीमियर लीग के पहले सीजन की शुरुआत की. इसमें उन्हें बतौर चेयरमैन और कमिश्नर आईपीएल के आयोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई. उन्होंने इसे क्रिकेट, बॉलीवुड और राजनीति का कॉकटेल बनाकर काफी ग्लैमरस स्पोर्ट्स इवेंट बना दिया था. दो साल बाद यानी 2010 में मनी लॉन्ड्रिंग विवाद के बाद ललित मोदी देश छोडक़र फरार हो गए. इसके बाद ने भी मोदी को पद से हटा दिया.
ललित मोदी ने अध्यक्ष बनने के साथ ही राजस्थान की सत्ता में पकड़ और मजबूत कर ली थी. नौकरशाही में तबादलों से लेकर कैबिनेट के अधिकांश मंत्रियों से सिफारिश करने में भी ललित मोदी आगे रहते थे. ललित मोदी के हाथों आमेर महल से जुड़ी कुछ हवेलियां कौडिय़ों के दाम पर बेचने का आरोप लगा. विपक्ष के हंगामे के बाद राजस्थान सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा और महज 10-10 लाख में बेची गई बेशकीमती हवेलियों की नीलामी पर रोक लगानी पड़ी.
दिग्गज कारोबारी परिवार से आने वाले ललित मोदी के दादा दादा गुजरमल मोदी ने उत्तर प्रदेश में मेरठ के पास औद्योगिक शहर मोदीनगर को बसाया था. गुजरमल मोदी की आठ संतानों में एक केके मोदी के बेटे ललित मोदी अब उनकी बनाई कंपनी केके मोदी के प्रेसिडेंट हैं. ललित मोदी ने आधिकारिक ट्विटर हैंडल, वेबसाइट ललित मोदी डॉट कॉम और फेसबुक पेज पर भी अपनी पहचान मोदी इंटरप्राइजेज के प्रेसिडेंट के तौर पर बताई है. मोदी इंटरप्राइजेज कई तरह के प्रॉडक्ट बनाने के साथ ही कंज्यूमर प्रॉडक्ट, नेटवर्क मार्केटिंग, एजुकेशन, एंटरटेनमेंट, टी और अन्य पेय पदार्थ, हेल्थ, फैशन, फूड और अस्पताल के क्षेत्र में काम करती है.
मोदी गु्रप का कारोबार भारत के अलावा मिडिल ईस्ट अफ्रीका, वेस्ट अफ्रीका, साउथ ईस्ट अफ्रीका जैसे कई देशों में फैला हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक, ललित मोदी की कुल संपत्ति करीब 57 करोड़ डॉलर यानी 4,555 करोड़ रुपये मूल्य की है. लंदन के प्रतिष्ठित 117, स्लोएन स्ट्रीट पर 7000 स्क्वायर फीट में फैला उनका पांच मंजिला मेंशन है. साल 2010 में देश छोडऩे के बाद 56 वर्षीय ललित मोदी यहीं रहते हैं. ललित मोदी को भारत लाने के लिए कई एजेंसियां काम कर रही थी, लेकिन उन्हें भारत नहीं लाया जा सका है.

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