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जानिए कब है कजरी तीज, क्या है पूजन विधि और क्या है पारण का समय

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लखनऊ। श्रावण पूर्णिमा के साथ 12 अगस्त को सावन का महीना समाप्त हो गया है और 13 अगस्त यानी कि शनिवार से भाद्रपद माह का शुभारंभ हो गया. सावन-भादों का महीना तीज के लिए जाना जाता है. भादों के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी तीज का व्रत रखा जाता है. इस बार भादों की तृतीया तिथि 14 अगस्त को पड़ रही है. ऐसे में कजरी तीज का व्रत 14 अगस्त, दिन रविवार को रखा जाएगा. कजरी तीज को कजली तीज, बूढ़ी तीज और सातूड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. हरियाली तीज की तरह ही कजरी तीज का व्रत भी अखंड सौभाग्य के लिए रखा जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कजरी तीज के व्रत पारण समय के बारे में.

शास्त्रों में विधित जानकारी के अनुसार, कजरी तीज का व्रत चंद्रोदय के बाद ही खोलना शुभ माना जाता है. तभी व्रत का पूर्णरूप से फल प्राप्त होता है. कजरी तीज के दिन भिन्न भिन्न प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. ये सभी पकवान जौ, गेहूं, चने और चावल के सत्तू में घी और मेवा मिलाकर बनते हैं. इन्हीं पकवानों को चंद्रोदय के पश्चात खाया जाता है और व्रत पूर्ण किया जाता है.
कजरी तीज मुख्य रूप से उत्तर भारत के राज्यों में मनाई जाती है. कजरी तीज के दिन माता पार्वती और भगवान शिव की विशेष पूजा का विधान है. माना जाता है कि कजरी तीज का व्रत रखने से स्त्रियों को सौभाग्य का वरदान मिलता है. विवाहित महिलाएं इस दिन दुल्हन की तरह तैयार होकर देवी पार्वती और शंकर जी की पूजा करती हैं तो उनपर और उनके समस्त परिवार पर महादेव बाबा और माता पार्वती भरपूर कृपा बरसाती हैं.

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