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नई दिल्ली। गुजरात में रविवार रात एक घातक पुल गिरने से पूरा देश स्तब्ध रह गया, जिसमें सैकड़ों लोग बड़ी दुर्घटना के बाद नदी में गिर गए. गुजरात में मोरबी केबल ब्रिज शाम को ढह गया और अब मरने वालों की संख्या 141 को पार कर गई है. भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना गुजरात में एनडीआरएफ के साथ बचाव अभियान चला रही है, जिसमें लगभग 100 लोग अभी भी लापता हैं और 177 से अधिक लोगों को बचाया गया है. रविवार शाम करीब 6:40 बजे मोरबी सस्पेंशन ब्रिज ढह गया और सैकड़ों लोग पानी में गिर गए. यह बताया गया कि ढहने के समय, गुजरात पुल पर 500 से अधिक लोग थे, जिनमें से अधिकांश छठ पूजा अनुष्ठानों और उत्सवों को देखने या प्रदर्शन करने के लिए थे. सूत्रों का कहना है कि भीड़ अधिक होने के कारण पुल ढह गया.
क्या सस्पेंशन ब्रिज खतरनाक हैं?
गुजरात के मोरबी में केबल ब्रिज एक सस्पेंशन ब्रिज था. सस्पेंशन ब्रिज आमतौर पर केबल के माध्यम से पकड़े जाते हैं और कई बार, पैसेंजर सस्पेंशन ब्रिज की ठोस नींव नहीं होती है.
निलंबन पुल का लचीलापन नींव के नुकसान का कारण बन सकता है, और भारी भार को संभालने में भी कठिनाइयों का कारण बन सकता है. अब तक अंदाजा लगाया जा रहा है कि गुजरात में मोरबी पुल भारी संख्या में लोगों की वजह से ढह गया, जिसके कारण ओवरलोडिंग हुई.
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक छठ पूजा मनाने के लिए मोरबी पुल पर करीब 400 से 500 लोग मौजूद थे. विशेषज्ञों के अनुसार यह अनुमान लगाया गया है कि भीड़भाड़ और ओवरलोडिंग के कारण पुल ढह गया था.
गुजरात के मोरबी में सस्पेंशन ब्रिज को मरम्मत और नवीनीकरण के लिए बंद कर दिया गया था और हाल ही में इसे खोला गया था. मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि उचित फिटनेस जांच नहीं की गई थी और जनता द्वारा पुल को फिर से खोलने से पहले कोई सरकारी प्राधिकरण नहीं लिया गया था.
इसके अलावा, दुर्घटना स्थल पर मौजूद लोगों ने कहा कि कई युवक थे जो जानबूझकर पुल को हिला रहे थे और झूल रहे थे, और घंटों बाद वह गिर गया. लोग सरकारी लापरवाही और छठ पूजा के लिए उचित व्यवस्था की कमी को भी जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जिसके कारण अंतत: सैकड़ों लोग पुल पर उमड़ पड़े.
इस पुल का उद्घाटन पहली बार 20 फरवरी, 1879 को मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. इसे 1880 में लगभग 3.5 लाख रुपये की लागत से पूरा किया गया था. सारा सामान इंग्लैंड से आया था और इसे दरबारगढ़ को नजऱबाग से जोडऩे के लिए बनाया गया था.अब, यह लटकता हुआ कुंड महाप्रभुजी के आसन और पूरे समाकांठा क्षेत्र को जोड़ता है. यह सस्पेंशन ब्रिज 140 साल से भी ज्यादा पुराना है और इसकी लंबाई करीब 765 फीट है.
पुल पिछले दो वर्षों से बंद था और गुजराती नव वर्ष के अवसर पर 26 अक्टूबर को नवीनीकरण के बाद इसे फिर से खोल दिया गया था. मोरबी नगर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस.वी. जाला ने चौंकाने वाले खुलासे में कहा कि बिना फिटनेस सर्टिफिकेट के पुल को जनता के लिए खोल दिया गया. ज़ाला ने स्थानीय मीडिया को संबोधित करते हुए कहा लंबी अवधि के लिए, यह पुल जनता के लिए बंद था … सात महीने पहले, एक निजी कंपनी को नवीनीकरण और रखरखाव के लिए अनुबंध दिया गया था, और पुल को जनता के लिए अक्टूबर में फिर से खोल दिया गया था. 26 (गुजराती नव वर्ष दिवस) निजी कंपनी द्वारा. नगर पालिका ने फिटनेस प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है
गुजरात के मोरबी में रविवार को 7 बजे के करीब नदी पर बना केबल ब्रिज बीच से टूट गया. हादसे के वक्त पुल पर करीब 400 लोग मौजूद थे, जो सीधे मच्छु नदी में समा गए. वैसे, मोरबी से पहले भी देश में कई बड़े पुल हादसे हुए हैं. इनमें कहीं बनता हुआ ब्रिज लोगों के ऊपर ढह गया तो कहीं पुल टूटने से पूरी ट्रेन ही नदी में समा गई.
1- वाराणसी कैंट रेलवे हादसा– वाराणसी कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा 15 मई, 2018 को ढह जाने से मलबे में दबकर 15 लोगों की मौत हो गई थी.
2- रफीगंज रेल हादसा- 10 सितंबर, 2002 को बिहार के रफीगंज स्टेशन के पास नदी पर बने पुल पर हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी. इस रेल ब्रिज हादसे में करीब 130 लोगों की मौत हो गई थी.
3- काडलुंडी रिवर ब्रिज हादसा –21 जुलाई, 2001 को केरल में कोझिकोड के पास स्थित काडलुंडी नदी पर बने एक रेलवे ब्रिज के ढहने से 57 लोगों की मौत हो गई थी. बता दें कि चेन्नई के लिए मंगलौर-चेन्नई मेल पैसेंजर ट्रेन कोझिकोड के पास काडलुंडी नदी पुल पार कर रही थी, तभी चार बोगियां पटरी से उतर कर नदी में समा गईं.
4- पैदल पुल हादसा- सन 2006 में बिहार के भागलपुर में पेडेस्ट्रियन (पैदल पुल) ब्रिज गिरने से बड़ा हादसा हुआ था. इस हादसे में करीब 30 लोग मारे गए थे. यह करीब 150 साल पुराना ब्रिज था. यह ब्रिज जमालपुर-हावड़ा ट्रेन पर गिर गया था.
5- विवेकानंद फ्लाईओवर ब्रिज हादसा– 31 मार्च, 2016 को कोलकाता में निर्माणाधीन विवेकानंद फ्लाईओवर ब्रिज ढह जाने से करीब 27 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 80 लोग घायल हुए थे.
6- सावित्री नदी पुल हादसा – 2 अगस्त 2016 को मुंबई-गोवा हाईवे पर रायगढ़ में सा?वित्री नदी पर पुल टूटने से हुए हादसे में 28 लोगों की मौत हो गई थी. बता दें कि महाराष्ट्र के महाड़ में सा?वित्री नदी पर बना अंग्रेजों के जमाने के पुल का बड़ा हिस्सा भारी बारिश के चलते टूट कर नदी में समा गया था.
7- पंजगुट्टा फ्लाईओवर ब्रिज हादसा – 9 सितंबर, 2007 को हैदराबाद के पंजगुट्टा इलाके में बन रहे एक फ्लाईओवर के ढहने से 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि कई लोग घायल हो गए थे. ब्रिज के नीचे से कई वाहन गुजर रहे थे, तभी ये हादसा हो गया था.