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नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी नेशनल हेराल्ड केस में पूछताछ के लिए ईडी दफ्तर पहुंची हैं. उनके साथ ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी भी ईडी दफ्तर पहुंचे थे, जिसमें प्रियंका गांधी के पास सोनिया गांधी की दवाईयां हैं. वो सोनिया गांधी के साथ ही ईडी दफ्तर में रुकी हैं. वहीं, राहुल गांधी दोनों को ईडी दफ्तर पहुंचाकर वापस लौट आए. वहीं, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी को एक अलग कमरे में बिठाया गया है. इसकी वजह यह है कि सोनिया गांधी की दवाएं लेकर प्रियंका गांधी गई हैं और उन्हें कभी भी उनकी जरूरत पड़ सकती है. कोरोना से उबरने के बाद भी सोनिया गांधी की तबीयत खराब है और ऐसे में उन्हें दवाओं की जरूरत रहती है.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने जताया विरोध
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी से ईडी की पूछताछ पर कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि 65 साल से ऊपर के जितने भी वरिष्ठ नागरिक होते हैं उनके घर पर जाकर पूछताछ करते हैं, लेकिन यहां पर तो सब चीज़ें वे तोड़ रहे हैं. वे दिखाना चाहते हैं कि वे कितने पावरफुल हैं. वहीं, कांग्रेस नेता और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि उनकी (कांग्रेस नेता सोनिया गांधी) उम्र 70 वर्ष से अधिक है श्वष्ठ से उन्हें घर आकर पूछताछ करनी चाहिए थी. इस वक्त में श्वष्ठ का जो दूर्उपयोग हो रहा है ये जगजाहिर है, ये कोई नई बात नहीं है. बता दें कि नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी से श्वष्ठ की पूछताछ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पुलिस ने हिरासत में लिया. कई वरिष्ठ नेताओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है.
क्या है नेशनल हेराल्ड केस?
वर्ष 2012 में बीजेपी के नेता और अधिवक्ता सुब्रमण्यम स्वामी ने एक निचली अदालत के समक्ष एक शिकायत दर्ज की जिसमें आरोप लगाया गया कि यंग इंडियन लिमिटेड द्वारा एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के अधिग्रहण में कुछ कांग्रेस नेता धोखाधड़ी और विश्वासघात में शामिल थे. उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल हेराल्ड की संपत्ति को दुर्भावनापूर्ण तरीके से कब्जा कर लिया था. नेशनल हेराल्ड 1938 में अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित एक समाचार पत्र था. सुब्रमण्यम स्वामी का दावा है कि ङ्घढ्ढरु ने 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति और लाभ हासिल करने के लिए दुर्भावनापूर्ण तरीके से निष्क्रिय प्रिंट मीडिया आउटलेट की संपत्ति को अधिग्रहित किया. वर्ष 2014 में प्रवर्तन निदेशालय ने यह देखने के लिए जांच शुरू की कि क्या इस मामले में कोई मनी लॉन्ड्रिंग है.