लखनऊ/बहराइच। जिले में फसल अवशेष व पराली जलाने की घटनाओं पर जनजागरूकता फैलाने के साथ पराली प्रबन्धन पर काम कर रहे जिलाधिकारी डा. दिनेश प्रताप सिंह की मेहनत रंग लाई है। पराली प्रबंधन पर किये गये इस अभिनव प्रयोग ने जिले में सफलता की एक नयी इबारत लिख दी है। पराली प्रबंधन पर किये गये इस नवाचार के लिए जिलाधिकारी डा. दिनेश प्रताप सिंह को नेशनल सिल्वर स्कॉच एवार्ड से सम्मानित किया गया है।
आपको बता दे कि पराली व फसल अवशेष जलाने से मानव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इससे जहां कई प्रकार की बीमारियां उत्पन्न होती है वहीं जन-धन की हानि तथा पशुओं के चारे की समस्या भी उत्पन्न होती है। वर्ष 2020-21 में जनपद के कृषकों में जागरूकता की कमी के कारण जिले में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं घटित हुई थी जिसके लिए सैकड़ों कृषको के विरुद्ध पराली जलाने की घटनाओं को लेकर वाद दायर हुए थे। बीते वर्ष 2021-22 में जिलाधिकारी डॉ दिनेश चन्द्र के कुशल मार्गदर्शन में पराली व फसल अवशेष ही नहीं बल्कि पेड़ की पत्तियों को जलाने की बढ़ती घटनाओं पर अंकुश लगाये जाने के लिए व्यापक स्तर पर प्रयास शुरू किया गया। इसके तहत उप निदेशक कृषि टी.पी. शाही के नेतृत्व में कृषि विभाग के क्षेत्रीय अधिकारियों, कर्मचारियों एवं कम्बाईन मशीन धारकों तथा उनके स्वामियों के साथ बैठक कर पराली जलाने से रोकने की घटनाओं पर मंथन किया गया। इसके अलावा विकास खण्ड, ग्राम पंचायत एवं न्याय पंचायत स्तर पर कृषि एवं अन्य विभागों के कर्मचारियों की ड्यूटी लगाकर पराली जलाने की घटनाओं की रोकथाम तथा स्थनीय स्तर पर जन जागरूकता संचालित किये गये।
इसके साथ ही ड्रोन कैमरो से निगरानी भी की गयी। कृषि विभाग द्वारा जनपद के प्रत्येक विकास खण्ड व गांवो में पराली जलाने से होने वाले नुकसान के स्लोग्न, बेस्ट डी कम्पोजर, न्याय पंचायत स्तर पर कृषक जागरूकता गोष्ठियों, होर्डिंग, प्रचार वाहन तथा स्वयं फील्ड में जाकर पराली जलाने की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए कृषकों को जागरूक किया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में पराली प्रबन्धन में राजस्व विभाग के ग्रामीण एवं तहसील स्तरीय अधिकारियों द्वारा सहयोग किया गया। जिसके कारण पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है। जिलाधिकारी के अभिनव प्रयास से पशु पालन एवं कृषि विभाग तथा पंचायती राज विभाग द्वारा पराली प्रबन्धन के लिए जनपद के ग्रामीण क्षेत्रों में किसानों को जागरूक किया गया। इसका यह परिणाम रहा कि ग्राम प्रधानों एवं किसानों द्वारा पराली व फसल अवशेषों को जलाने के बजाय गौशालाओं में संरक्षित गोवंशो के चारे के लिए दान कर दिया। इसके अतिरिक्त वर्मी कम्पोस्ट बनाकर किसानों ने खाद्य के रूप में अपने खेतों में प्रयोग किया गया। जिलाधिकारी डॉ चन्द्र के नवाचार का परिणाम रहा कि वर्ष 2020-21 में फसल अवशेष जलाने की 110 घटनाओं के सापेक्ष वर्ष 2021-22 में जनपद में कुल 60 घटनाएं ही घटित हुई। जनपद में घटित 60 घटनाओं में दूसरे जनपद की 18 घटनाओं को हटा दिया जाय तो कुल 42 घटनाएं ही प्रकाश में आयी। फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में गुणात्मक कमी आने पर भी पराली जलाने की घटनाओं में कमी लाने के लिए निरन्तर प्रयास किया गया। जिलाधिकारी के इस इस नवाचार को लेकर उनको नेशनल स्कॉच एवार्ड से सम्मानित किया गया। स्कॉच एवार्ड से सम्मानित होना जनपद व प्रदेश के लिए गौरव की बात है। आपको को बता दे कि नेशनल स्कॉच एवार्ड निजी क्षेत्र का प्रशासकीय नेतृत्व योजना क्रियान्वयन में नवाचार तथा उत्कृष्ट कार्याे के लिए दिया जाने वाला प्रतिष्ठित राष्ट्रीय पुरस्कार है जो भारत का सर्वाेच्च स्वतंत्र सम्मान माना जाता है।
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