Breaking News

क्राइस्ट चर्च कॉलेज के प्रींसिपल की सराहनीय पहल, दृष्टिबाधित व मानसिक रूप से अक्षम बच्चों के लिए खोले कॉलेज के द्वार

Getting your Trinity Audio player ready...

लखनऊ। शहर के प्रतिष्ठित कॉलेज में शुमार क्राइस्ट चर्च के प्रीसिंपल राकेश चत्री शिक्षा के क्षेत्र में एक अनूठी मुहिम चला रहे हैं। इस कॉलेज में जहां समान्य रूप से सक्षम छात्र शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं, तो वहीं प्रींसिपल के अथक प्रयासों से दृष्टिबाधित व मानसिक रूप से अक्षम बच्चों को भी शिक्षित किया जा रहा है। ऐसे छात्रों को न्युनतम फीस पर एडीमिशन दिया जाता है। कॉलेज में पढ़ने वाले ऐसे छात्रों की संख्या में भी साल दर साल इजाफा हो रहा है।

प्रिंसिपल राकेश चत्री

हजरतगंज स्थित क्राइस्ट चर्च कॉलेज में अब ऐसे बच्चे नर्सरी, लोअर केजी व अपर केजी में एडमिशन ले सकते हैं। प्रिंसिपल राकेश चत्री ने बताया कि जो अभिभावक अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए फीस देने में असमर्थ होंगे, उनसे फीस नहीं ली जाएगी। उन्होंने बताया कि दिव्यांग बच्चों को सामान्य बच्चों के साथ शिक्षित करने के उद्देश्य से करीब चार साल पहले कॉलेज में दृष्टिबाधित बच्चों के एडमिशन से इसकी शुरुआत की थी। इस समय करीब 23 दृष्टिबाधित और चार स्लो लर्नर बच्चे अध्ययनरत हैं। प्रिंसिपल श्री चत्री के मुताबिक आवेदन के समय बच्चे की उम्र नर्सरी के लिए तीन वर्ष से ऊपर, लोअर केजी के लिए चार वर्ष और अपर केजी क्लास के लिए पांच वर्ष से ऊपर होनी चाहिए। प्रींसिपल श्री चत्री का कहना है कि खुदा जब मनुष्य से कोई चीज लेता है तो वह उसकी भरपाई कई गुना अधिक तरीके से करता है। उन्होंने बताया कि अपगंता जैसी कोई चीज नहीं होती है, बस समझ और परिस्थितियों का फेर है, उन्होंने उदाहरण देते हुये बताया कि कमरे में दो छात्र हैं पढ़ रहे हैं, एक समान्य रूप से सक्षम छात्र है, और दूसरा दृष्टिबाधित। अगर कुछ देर के लिए लाइट चली जाती है तो अंधेरे के कारण सक्षम छात्र का पढ़ना बंद हो जायेगा, जबकि दृष्टिबाधित छात्र पर कोई फर्क नहीं पडे़गा, उसका पढ़ना निरंतर चालू रहता है। बात सिर्फ परिस्थिितियो की है। उन्होंने बताया कि कक्षा-9 में सारा नाम की दृष्टिबाधित छात्रा है, सुनने में भी दिक्कत है, लेकिन हर साल अपनी क्लास में सबसे अधिक अंक लाती है, मौजूदा समय वह कॉलेज की टॉप-3 में शामिल है। वहीं मानसिक रूप से अक्षम ऐसे छात्र जिनका शारीरिक विकास तो हुआ पर मानसिक तौर पर नहीं विकसित हुये, ऐसे बच्चों को भी इस प्रकार से सिखाया जाता है, कि वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों जैसे भूख-प्यास और टॉयलेट आदि के विषय में बता सकें।

दृष्टिबाधित छात्रों को पढ़ाने में अध्यापक सलमान का है अहम रोल

वहीं दृष्टिबाधित छात्रों को पढ़ाने की जिम्मेदारी सलमान सर की है, वह खुद भी देख पाने में अक्षम है, लेकिन उन्होंने ब्रेललिपि के माध्यम से एम.ए, एलएलबी, बीएड(स्पेशल एजुकेशन)किया है। वह शकंुतला मिश्रा विश्वविद्यालय से गोल्डमेडलिस्ट भी है। अध्यापक सरमान जितनी अच्छी हिन्दी बोलते है, उससे भी अच्छी वह फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोलते हैं। उन्होंने कहा कि मानसिक मंदित या दृष्टिबाधित छात्र सामान्य छात्रों की तुलना में किसी भी स्तर से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि ऐसे छात्र शिक्षा, संगीत, कला आदि विषयों में अपनी योग्यता का लोहा मनवा रहे हैं। उन्होंने कहा कि टेक्नालॉजी ने जिंदगी आसान बना दी है, जिससे की दृष्टिबाधित छात्र अब लिखने-पढ़ने के साथ ही रंगों की भी पहचान आसानी से कर सकते हैं।

 

Check Also

 नाम पर संग्राम? अब बॉलीवुड सेलिब्रिटी और पॉलिटिशियन के बीच बयानबाजी शुरू

Getting your Trinity Audio player ready... लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः बीते दिनों मुजफ्फरनगर प्रशासन ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *