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नई दिल्ली। देश की सुरक्षा के सजग प्रहरी सीमा सुरक्षा बल यानि बीएसएफ ने आंसु गैस के गोले बरसाने वाला एक स्पेशल ड्रोन विकसित किया है. बीएसएफ के मुताबिक इसका इस्तेमाल पुलिस दंगाइयों और प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित करने के लिए कर सकती है। सीमा सुरक्षा बल के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक ‘ड्रोन टीयर स्मोक लांचर’ का उपयोग ड्रोन से आंसू गैस के गोले गिराने के लिए किया जा सकता है। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की टियर स्मोक यूनिट ने स्वदेशी ड्रोन टियर स्मोक लॉन्चर तैयार किया है। इसके साथ ही इस ड्रोन के जरिये 250-300 मीटर के दायरे में आंसू गैस के गोले गिराए जा सकते हैं।
बीएसएफ अधिकारी के मुताबिक ये ड्रोन बीएसएफ की स्वदेशी टियर स्मोक यूनिट द्वारा तैयार किया गया है। साथ ही इसका परीक्षण भी सफलता पूर्वक कर लिया गया है। इतना ही नहीं इस ड्रोन के इसके इस्तेमाल के लिए ज्यादातर सुरक्षा सर्टिफिकेट भी मिल गए हैं। जल्द ही पुलिस विभाग और सशस्त्र पुलिस बलों को इस तकनीक का इस्तेमाल करते हुए देखा जा सकेगा. जानकारी के मुताबिक किसी भी घटना के दौरान उपद्रवियों को काबू करने और आंसू गैस के गोले छोडऩे के लिए इस ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकेगा। इससे सुरक्षा व्यवस्था में तैनात किए जाने वाले कर्मी सुरक्षित रहेंगे, जिन्हें कई बार भीड़ को नियंत्रित करने के दौरान उनके गुस्से का शिकार होना पड़ता है। यही नहीं ये तकनीक गैर घातक भी है।
बात अगर लोडिंग की करें तो एक ड्रोन में 2 से 6 तक आंसू गैस के गोले लोड कर टारगेट एरिया में गिराए जा सकेंगे। ड्रोन से गोले गिराने और ड्रोन में गोले भरने के लिए मैग्जीन का ट्रायल भी किया जा चुका है। आपको बता दें कि बीएसएफ की तरफ से इस तकनीक को समझाने और ऑपरेट करने के लिए एक वीडियो भी जारी किया गया है। जल्द ही इसे जल्द ही अलग-अलग पुलिस बलों और सुरक्षा बलों को इस्तेमाल के लिए सौंप दिया जाएगा। गौरतलब है कि सीमा सुरक्षा बल अकादमी में आंसू गैस इकाई को 1976 में शुरू किया गया था। इससे पहले तक देश में अश्रुगैस के गोले विदेशों से आयात किए जाते थे। 46 साल में इस इकाई ने आंसू गैस सामग्री बनाने की क्षमता को देश के सुरक्षा बलों की जरूरत के अनुसार 12 गुना बढ़ाते हुए भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है।