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लखनऊ/बहराइच । प्रदेश में अगर नवाचार देखना हो तो बहराइच जिले में देखा जा सकता है, यहां पर जिलाधिकारी ने हरे चारे को लेकर जो मुहिम चलायी उसकी गंूज राजधानी लखनऊ में भी सुनायी दे रही है। ज्ञात हो कि गौ आश्रय स्थल और पशुपालकों के सामने पूरे प्रदेश में हरे चारे की समस्या जब कब बनी रहती है, इसको लेकर शासन स्तर पर मंथन भी समय समय पर किया जाता रहा है।
बहराइच के जिलाधिकारी डा. दिनेश चन्द्र ने इस समस्या का जमीनी स्तर पर समाधान करने की ठानी और जिले के किसानों को नैपियर घास के लिए जागरूक किया और इसके फायदे भी समझाये, नैपियर घास बोने की पहल उन्होंने सबसे पहले अपने सरकारी आवास की खाली पड़ी जमीन से शुरू की, जिसके बाद देखते ही देखते एक छोटी से मुहिम अब पूरे जिले में आन्दोलन के रूप में बदल गयी। नतीजा यह रहा कि नैपियर घास के क्षेत्र विस्तार में आज 02 एकड़ भू-भाग का इज़ाफा हो गया है। वहीं जिले में कुल 100 हे. में नैपियर घास लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है जिसे प्राप्त करने हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। निजी क्षेत्र में भी नैपियर घास के विस्तार हेतु जिले के लगभग 1500 किसानों को नैपियर घास के बीज का वितरण कर उन्हें तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है।
बहराइच में गोवंशों के चारा प्रबन्धन विशेषकर हारा चारा प्रबन्धन के लिए प्रयासरत जिलाधिकारी डॉ. दिनेश चन्द्र का प्रयास रंग लाने लगा है। जनपद के विभिन्न क्षेत्रों में काफी तेज़ी के साथ नैपियर घास का क्षेत्र विस्तार हो रहा है। गोवंशों के लिए अत्यन्त उपयोगी साल भर उपलब्ध रहने वाली नैपियर घास के क्षेत्र विस्तार तथा प्रगतिशील किसानों को जोड़कर आम किसानों तक नैपियर घास की उपलब्धता सुनिश्चित कराये जाने के लिए डीएम डॉ. चन्द्र निरन्तर प्रयत्नशील हैं। जिले में किसान गोष्ठी हो या विशिष्ट तथा अति विशिष्ट जन के आगमन का अवसर डीएम के प्रयास से प्रगतिशील किसानों के साथ-साथ आम कृषकों को नैपियर घास के बीज का वितरण किया जा रहा है। नैपियर घास के विस्तार में जनपद में कहीं कोई अड़चन न आये इसके लिए डीएम द्वारा निरन्तर कृषकों को जागरूक किया जा रहा है। विभिन्न अवसरों पर किसानों को बताया जा रहा है कि पौष्टिक एवं सूपाच्य होने के साथ-साथ यह एक बहुवर्षीय हरा चारा है। इसे एक बार बोने पर पांच वर्षों तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। प्रथम कटिंग बोवाई के मात्र दो माह बाद, तद्पश्चात हर 02 माह में कटिंग ली जा सकती है। नैपियर घास में क्रूड प्रोटीन 10-12 प्रतिशत तक पायी जाती है। किसानों को यह बताया जा रहा है कि यह रख-रखाव में आसान तथा कम लागत में तैयार होने के कारण यह चारा सभी वर्ग के पशुपालकों के लिए वरदान है। संकर नैपियर से 4 कटिंग में 1500-1700 कु. प्रति हे. प्रति कटाई हरा-चारा प्राप्त किया जा सकता है। नैपियर घास का कुल उत्पादन लगभग 6000-7000 कु. प्रति हे. प्रति वर्ष (30000-35000 कु. प्रति हे. 05 वर्ष में) जो की अन्य मौसमी चारा फसलों के मुकाबले 03 गुना ज्यादा उत्पादन होता है। जिसके फलस्वरूप चारे में होने वाले कुल खर्च (5 वर्ष) में लगभग 3-4 लाख रू. प्रति हे. की बचत होगी। जिले को चारा प्रबन्धन में आत्मनिर्भर बनाये जाने के उद्देश्य से संचालित किये जा रहे अभियान में तहत गतवर्ष लगभग 25 हे. नैपियर घास गो आश्रय स्थलों में लगाई गयी थी। वर्तमान में नैपियर घास के क्षेत्र में काफी तेज़ी के साथ विकास हो रहा है। जिसमें अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल, वृहद गो आश्रय स्थल एवं उनसे लिंक चारागाह के साथ किसानों के खेत भी शामिल हैं। जनपद में कुल 100 हे. में नैपियर घास लगाए जाने का लक्ष्य रखा गया है जिसे प्राप्त करने हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किये जा रहे हैं। निजी क्षेत्र में भी नैपियर घास के विस्तार के लिए जिले के लगभग 1500 किसानों को नैपियर घास के बीज का वितरण कर उन्हें तकनीकी सहयोग भी प्रदान किया जा रहा है। नैपियर घास के क्षेत्र विस्तार में आज 02 एकड़ भू-भाग का इज़ाफा हो गया है। जरवल ब्लाक अन्तर्गत आहाता में स्थापित अस्थायी गोआश्रय स्थल में डीएम डॉ. चन्द्र की प्रेरणा से उप जिलाधिकारी कैसरगंज महेश कुमार कैथल व खण्ड विकास अधिकारी सत्य प्रकाश पाण्डेय, पशु चिकित्साधिकारी जरवल एस.पी. सिंह, प्रधान प्रतिनिधि राजेश कुमार के नेतृत्व गोआश्रय स्थल से लिंक्ड भूमि पर नैपियर घास की बुआई की गई। जिसमें स्थानीय कृषकों व पशुपालकों द्वारा भी सक्रिय सहयोग प्रदान किया गया। इस अवसर पर एसडीएम व बीडीओ द्वारा संरक्षित गोवंशों को हरा चारा खिलाकर गोसेवा भी की गई।