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लखनऊ। भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव का इंंतजार उनके भक्तों को पूरे साल बना रहता है. भाद्रपद माह के कृष्णपक्ष में पडऩे वाली अष्टमी के दिन मनाए जाने वाले कान्हा के जन्मोत्सव को लेकर अक्सर लोगों के मन तारीख को लेकर भ्रम बना रहता है. इस साल भी रक्षाबंधन के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी को तारीख को लेकर भी लोगों में कन्फ्यूजन बना हुआ है.उत्तराखंड ज्योतिष परिषद के अध्यक्ष और धर्म-कर्म के जानकार पंडित रमेश सेमवाल के अनुसार इस साल 18 अगस्त 2022, गुरुवार को अर्धरात्रि व्यापिनी अष्अमी (स्मार्त) गृहस्थ लोगों के लिए और 19 अगस्त 2022, शुक्रवार उदयकालिक अष्टमी (वैष्णव) सन्यासियों के लिए मनाई जाएगी.
जन्माष्टमी के लिए क्या कहते हैं शास्त्र
अधिकांश शास्त्रकारों ने अर्धरात्रि व्यापिनी अष्टमी में ही व्रत पूजन एवं उत्सव मनाने की पुष्टि की है.श्रीमद्भागवत, श्री विष्णु पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण, भविष्य पुराण भी अर्धरात्रि अष्टमी में ही श्री कृष्ण भगवान के जन्म की पुष्टि करते हैं. तिथि निर्णय के अनुसार भी जन्माष्टमी में अर्धरात्रि को ही मुख्य निर्णायक तत्व माना है. रोहणी नक्षत्र मुख्य निर्णायक नहीं है, इसमें तिथि को ही महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसे में अर्धरात्रि के समय रहने वाली तिथि अधिक शास्त्र सम्मत एवं मान्य रहेगी. गौरतलब है कि इस साल श्री कृष्ण जन्मोत्सव के समय रोहिणी नक्षत्र नहीं है.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी का शुभ मुहूर्त
पंडित राम प्रसाद तिवारी के अनुसार इस साल 18 अगस्त 2022, गुरुवार की रात्रि 09:22 बजे के बाद अर्धरात्रि कृतिका नक्षत्र व मेष राशिस्थ चंद्रमा कालीन श्री कृष्ण जन्माष्टमी का व्रत होगा क्योंकि 18 अगस्त 2022 की रात्रि 09:22 बजे के बाद अष्टमी प्रारंभ होगी जो कि 19 अगस्त 2022 की रात 11:00 बजे तक रहेगी.
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के शुभ योग
पंडित राम प्रसाद तिवारी के अनुसार इस साल 18 अगस्त 2022 को मनाई जाने वाली श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर धु्रव एवं वृद्धि योग का निर्माण भी हो रहा है, जो कि इस दिन 08:41 बजे तक वृद्धि योग रहेगा, इसके बाद ध्रुव योग शुरु होगा जो 19 अगस्त 2022 को रात 08:58 बजे तक रहेगा. इन दोनों ही योग में किए गए सभी कार्य शुभ और सफल होते हैं.
निशीथ पूजा – 18 अगस्त 2022 की रात्रि 12:02 से लेकर 12:40 बजे तक
पारण- 19 अगस्त 2022 की सुबह 05:50 बजे
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा विधि
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन पर्व पर भगवान श्री कृष्ण को विधि विधान से दूध, दही, शहद, घी, शक्कर आदि से स्नान कराएं. सबसे अंत में भगवान की मूर्ति को शुद्ध गंगाजल से एक बार फिर स्नान कराएं और उन्हें वस्त्र, आभूषण धारण कराएं. इसके बाद भगवान को चंदन का तिलक आदि लगाने के बाद विभिन्न प्रकार के मिष्ठान का भोग लगाएं. भगवान के भोग में तुलसी दल अवश्य चढ़ाएं. इसके बाद भगवान के मंत्रों का जाप और श्रीमद्भागवत पुराण का पाठ करें. श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर की जाने वाली पूजा में भगवान श्री कृष्ण को बांसुरी और वैजयंती माला जरूर अर्पण करें. पूजा के अंत में पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ भगवान श्री कृष्ण की आरती करें. सबसे अंत में भगवान की परिक्रमा करें और यदि संभव हो तो पूरी रात भगवान श्री कृष्ण का जागरण करें. मान्यता है कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर गौ सेवा करने से भगवान श्री कृष्ण बहुत प्रसन्न होते हैं.