स्कूल और क्लास बंक करके दोस्तों से मिलना, मॉल घूमना और पार्कों में सैरसपाटा करना अब यूपी में आसान नहीं होगा। अगर आप स्कूल टाइम में और स्कूल यूनिफॉर्म में इन जगहों पर जाने का प्रयास करेंगे तो….खैर स्कूल टाइम मौज मस्ती करने वालों पर लगाम कसने की तैयारी चल रही है। जल्द ही जिलाधिकारी के स्तर से इस मामले को लेकर कोई आदेश जारी किया जा सकता है। यूं भी राजधानी के कुछ चुनिंदा पार्क तो स्कूल बंक करने वालों और लव बर्डï्स का अडï्डा बना हुए हैं। ऐसे में ये खबर हमारे इन किशोरों और युवाओं को तो नहीं भाने वाली है लेकिन क्या कर सकते हैं आप? क्योंकि स्कूल के नाम इस तरह से मटरगश्ती करने की इजाजत को और जारी करने के मूड में एक सरकारी संस्था नहीं है। उसने प्रदेश भर के जिलाधिकारियों को एक पत्र भी लिखा और अपनी कई तरह की चिंताओं से रूबरू भी कराया । लेकिन यहां पर सबसे अहम बात यह होगी कि स्थानीय प्रशासन किस प्रकार से इस प्रकार के निर्देशों का पालन कराता है। वहीं दूसरी ओर इस तरह के होनहार इस प्रकार की खबर की चर्चा मात्र से ही परेशान हैं। उनका कहना है कि इस तरह से स्कूल यूनिफार्म में उनको मॉल या फिर कहीं और जाने से रोकना क्या उनके अधिकारों का हनन नहीं है। पर ये बात तो अभी वह गुपचुप ढंग से कर रहे हैं और उनको उम्मीद ही नहीं पूरा विश्वास भी है कि अभिव्यक्ति की आजादी का कोई न कोई पैरोकार इस मामले में उनकी मदद करने और उनके हक के लिए लडऩे को सामने जरूरी आएगा। तो चलिए जान लेते हैं कि आखिर क्या यह पूरा माजरा…जो आने वाले दिनों बदल सकता है सीन…
उत्तर प्रदेश के मॉल और पार्कों में स्कूल यूनिफार्म में छात्र-छात्राओं को अब प्रवेश नहीं मिलेगा, उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर इस तरह का निर्देश जारी किया है. आयोग की सदस्य डॉ. शुचिता चतुर्वेदी द्वारा जिलाधिकारियों को जारी इस पत्र के अवगत कराया गया है कि स्कूल ड्रेस में किसी भी छात्र-छात्रा को मॉल या पार्क में प्रवेश करने पर प्रतिबन्ध को सुनिश्चित किया जाय। डॉ चतुर्वेदी ने पत्र में निर्देश दिया है कि न केवल मॉल या पार्क बल्कि सभी पब्लिक प्लेस पर स्कूल ड्रेस में छात्रों के प्रवेश पर न दिया जाय. आयोग ने कहा है कि आम तौर पर देखा जा रहा है कि सार्वजानिक स्थलों पर स्कूल टाइमिंग में छात्र और छात्राएं घुमते नजर आ रहे हैं, यह बच्चे स्कूल न जाकर मॉल और पार्कों में घुमते नजर आ रहे हैं, इसपर रोक लगाना अत्यंत जरूरी है। बता दें कि उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग राज्य सरकार की एक संस्था है जो बाल अधिकारों और बाल हितों को लेकर काम करती है. संस्था बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग समय समय पर कई कार्यक्रम भी आयोजित करती है हालांकि इस तरह का फरमान क्यों जारी किया गया है इसका आयोग की तरफ से अब तक कोई जवाब नहीं मिला है. अब देखना है कि प्रशासन इस फरमान को किस प्रकार लागू करता है।