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नीतीश सरकार की आनंद मोहन की रिहाई के फैसले पर उठने लगी आवाज

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पटना। पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है। कई नेता से लेकर अधिकारी तक नीतीश सरकार के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। सबसे पहले यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने आनंद मोहन की रिहाई को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद एक-एक कर कई नेता सामने आए। नेता से लेकर अधिकारी तक सरकार से पुनर्विचार करने की मांग कर रहे हैं। यहां तक दिवंगत जी. कृष्णैय्या की पत्नी भी इसे गलत बताया। .
सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने बिहार सरकार द्वारा आनंद मोहन की रिहाई को लेकर नोटिफिकेसन जारी करने का विरोध जताया है। कहा कि गोपालगंज के पूर्व डीएम स्वर्गीय जी कृष्णैया की नृशंस हत्या के दोषियों को रिहा करने के बिहार सरकार के फैसले पर कैदियों के वर्गीकरण नियमों में बदलाव पर गहरी निराशा व्यक्त करता है। आईएएस एसोसिएशन द्वारा जारी लेटर में कहा गया कि कि नियमों में संशोधन कर लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को जघन्य श्रेणी में फिर से क्लासिफाई नहीं किया जा सकता। ऐसे फैसलों से लोक सेवकों के मनोबल में गिरावट आती है। लोक व्यवस्था कमजोर होती है और प्रशासन के न्याय का मजाक बनता है। हमलोग अनुरोध करते हैं कि बिहार सरकार जल्द से जल्द अपने फैसले पर पुनर्विचार करे।
महागठबंधन सरकार के सहयोगी भाकपा माले आनंद मोहन की रिहाई को लेकर अपनी ही सरकार का विरोध किया। भाकपा माले ने बिहार सरकार के इस कदम को भेदभाव पूर्ण बताया। इधर, इधर, भाजपा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा कि मोदी ने कहा कि ऐसी क्या मजबूरी है कि एससी-एसटी समुदाय के सरकारी अधिकारी जी कृष्णैय्या की हत्या के मामले में सजायाफ्ता बंदी को भी रिहा किया जा रहा है? राजद पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि जी कृष्णैया की हत्या और आनंद मोहन के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज होने के समय लालू प्रसाद ने पूर्व सांसद की कोई मदद नहीं की थी। ट्रायल शुरू होने पर यही ठंडा रवैया नीतीश कुमार का रहा। इतना ही नहीं ट्रायल शुरू होने पर यही ठंडा रवैया नीतीश कुमार का रहा।
दिवंगत आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैय्या (तत्कालीन डीएम, गोपालगंज) की पत्नी उमा देवी ने कहा कि हमारे साथ अन्याय हुआ है। पहले उसे (आनंद मोहन) मौत की सजा हुई थी। फिर बाद में आजीवन कारावास हुआ। इसके बाद नियम में संशोधन कर बाहर लाना। अच्छा डिसीजन नहीं है। अच्छा नहीं लग रहा है। गलत रहा है। बिहार में कास्ट पॉलिटिक्स है ही। वह राजपूत है और उसके बाहर आने से उसको राजपूत वोट मिलेगा। इसलिए उसे बाहर लाया है। क्रिमिनल को बाहर लाने की क्या जरूरत है। वह भी मुख्यमंत्री इसमें इनवॉल्व हुए। इलेक्शन में राजपूतों का वोट मिलेगा। इसलिए बाहर लाया गया है।

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