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आईआरसी अधिवेशन में तय होगा सड़क व सेतु निर्माण का भविष्य

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लखनऊ। भारतीय सड़क कांग्रेस यानी आईआरसी का 81वां अधिवेशन उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग द्वारा आयोजित किया जा रहा है। जिसका आयोजन गोमती नगर स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में 8 से 10 अक्टूबर तक किया जाएगा। अधिवेशन में देशभर से लगभग 2500 व प्रदेश से 1000 मार्ग विशेषज्ञ, वैज्ञानिक और व कई प्रदेशों के शीर्षस्थ अभियंता शामिल होंगे। कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। जिसमें मुख्य अतिथि के तौर पर केंद्रीय सड़क, परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी शामिल होंगे। यह जानकारी पीडब्ल्यूडी मंत्री जितिन प्रसाद ने लोक भवन में आयोजित प्रेस वार्ता में दी।
पीडब्ल्यूडी मंत्री प्रसाद ने बताया कि देश-विदेश से उच्च स्तरीय तकनीकी कम्पनियों एवं देश के तकनीकी विभागों एवं संस्थाओं द्वारा हाईवे इंजीनियरिंग, ब्रिज इंजीनियरिंग व रोड सेफ्टी से सम्बन्धित नवीनतम मशीनरी नवीन तकनीक के उपकरण, सर्वे के नवीन उपकरण एवं नवीन तकनीकी प्रणाली से सम्बन्धित कम्पनियों द्वारा अपने विशिष्टि उत्पादों और तकनीकों का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कुल 180 तकनीकी प्रदर्शनी के स्टाल लगेंगे। जिससे प्रदेश में स्टार्ट अप योजनाओं एवं उनमें रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे। यह आयोजन उत्तर प्रदेश के लिए गौरव की बात है। जितिन प्रसाद ने कहा कि प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को प्रदर्शित करने के लिए एवं उत्तर प्रदेश की लोक संस्कृति एवं स्थानीय पर्यटन को अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान व प्रसिद्धि दिलाने के उद्देश्य से, प्रतिदिन सायंकालीन सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश संगीत एवं नाटक एकाडमी द्वारा किया जाएगा। जिसमें प्रयागराज का ढिढ़िया डान्स, भोजपुरी क्षेत्र का फरूआही नृत्य, आर्मी बैंड, अवध क्षेत्र का जश्नेबहारा अवध की रोशन चौकी (पद्मश्री मालिनी अवस्थी द्वारा), आजादी का अमृत महोत्सव पर आधारित सांस्कृतिक भारत दर्शन, महेन्द्र भीष्म द्वारा लिखित जयहिन्द की सेना नाटक, राम वन्दना, सीता स्वयंवर, वाराणसी की टीम द्वारा राम आरती व पद्मश्री सोमा घोष द्वारा गजल प्रस्तुति दी जाएगी। अधिवेशन के उपरान्त उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग के सहयोग से आए हुए डेलीगेट्स को स्थानीय तथा प्रदेश के विभिन्न पर्यटन एवं दर्शनीय स्थलों का भ्रमण भी करवाया जायेगा।

आईआरसी के तहत 3 दिन में होगें 19 तकनीकि सत्रों का आयोजन

मंत्री जितिन प्रसाद ने बताया कि 3 दिन चलने वाले इस अधिवेशन में 19 तकनीकि सत्रों का आयोजन किया जायेगा। जिसमें देश व विदेश के तकनीकि विशेषज्ञ, केन्द्र एवं प्रदेश सरकार के विभिन्न विभागों के तकनीकि एक्सपर्ट, निर्माण से जुड़े संस्थाओं के इंजीनियर व वैज्ञानिक एवं सलाहकार अपनी अपनी रिर्पोट प्रस्तुत करेंगे। जिससे मार्ग निर्माण में उच्च स्तर की नवीन टैक्नोलॉजी का समामेश करने में मदद मिल सके। वही कार्यक्रम में सेतुओं की मरम्मत एवं उनके जीर्णोद्धार के लिए उनका चिन्हीकरण कर नवीन तकनीकि का प्रयोग कर, कम समय में मरम्मत के कार्यो को पूरा किया जायेगा।

180 स्टॉलों के जरिये मिलेगी अहम जानकारी

देश विदेश से उच्च स्तरीय तकनीकि कम्पनियों एवं देश के सरकारी महकमों के इंजीनियरों द्वारा स्टॉलों के माध्यम से नवीन जानकारी दी जायेगी। इस अधिवेशन के माध्यम से सड़कों एवं पुलों के निर्माण एवं मरम्मत में इस्तेमाल होने वाले उपकरण व नये टेक्नोलॉजी से संबधित विशिष्ट उत्पाद और तकनीकि का प्रदर्शन किया जायेगा। कार्यक्रम में कुल 180 स्टॉलों के जरिये लोग टेक्नोलॉजी से रूबरू हो सकेंगे। इस प्रकार प्रदेश में स्टार्ट अप योजनाओं एवं उनमें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे।

मंत्री का दावा अधिवेशन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था होगी और मजबूत

लोक निर्माण विभाग के मंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि देश विदेश में नवीनतम तकनीकि से कम लागत, कम समय में इनवायमेंन्ट फ्रेन्डली कार्य कराया जा सकता है। यह प्रदेश की अर्थव्यवस्था को एक ट्रिलियन डॉलर बनाने में मील का पत्थर साबित होगा। उन्होंने कहा कि अधिवेशन सत्र में विभिन्न विषयों पर हुई चर्चा एवं व्यापक विचार-विमर्श के साथ ही आइआरसी की काउंसिल समिति द्वारा नई विशिष्टियां जारी की जायेगी, इससे आने वाले सालों में मार्ग एवं सेतुओं के निर्माण में प्रदेश व देश के विकास को नई गति मिलेगी। वहीं युवा अभियन्ताओं को स्टार्टअप व रोजगार क अवसर पर प्राप्त होंगे। इसके साथ ही इन्फ्रास्ट्रक्चर व विकास को नई गति भी मिलेगी।

क्या है आईआरसी

आईआरसी देश में राजमार्ग और सेतुओं के निर्माण से संबंधित वैज्ञानिकों व अभियंताओं की एक शीर्ष संस्था है, जो राजमार्गों, सेतुओं के निर्माण से जुड़े मानकों, विशिष्टियों का निर्धारण या पुनर्निर्धारण करती है। इस प्रक्रिया के लिए हर साल देश के चयनित स्थानों पर अधिवेशन वार्षिक सत्र का आयोजन किया जाता है, जिसमें शामिल होने वाले विशेषज्ञों, वैज्ञानिकों, अभियंताओं के बीच राजमार्गों-सेतुओं के निर्माण से जुड़ी नई तकनीकों पर चर्चा और विचार विमर्श होता है।

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