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समाज के तानों का बेटी ने दिया,  जज  बन कर जवाब

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डा. अंजू यादव

लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। सोशल मीडिया के इस दौर में युवा रील और इंस्टाग्राम के चक्कर में पड़ कर अपने भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं तो वहीं कुछ ऐसे भी युवा हैं जिनको सोशल मीडिया की चकाचैंध भी उन्हें अपने लक्ष्य से जरा भी भटका नहीं पाती है, और न ही समाज के ताने उनके इरादों को विचलित करते हैं। अपने लक्ष्य की ओर दृढ़ं संकल्पित ऐसे लोग ही दूसरे लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत बनते हैं। हम बात कर रहे हैं लखनऊ की एक ऐसी ही बेटी की जिसके मजबूत इरादे को न तो समाज के ताने तोड़ पाये और न हालात। पीसीएसजे की परीक्षा को उत्तीर्ण कर डा. अंजू यादव ने न सिर्फ अपने माता-पिता के सपने को साकार किया है बल्कि आज उन हजारों युवतियों की प्रेणा बन कर उभरी हैं जो अपनी मेहनत के दम पर फलक पर अपना नाम लिखने के लिए बेताब हैं। डा. अंजू यादव को न्यायिक परीक्षा में सफलता यूं ही नहीं मिली, उनकी इस सफलता के पीछे जहां उनकी जी तोड़ मेहनत थी, तो वहीं उनके मन ही मन में यह जिद थी कि अपने पिता का सपना हर हाल में पूरा करना है। डा. अंजू ने शून्य से शिखर तक के संघर्षों को माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी के साथ एक विशेष बातचीत में साझा किया।

पिता के मार्गदर्शन ने की अंजू की राह आसान

समान्य परिवार से ताल्लुक रखने वाली डा. अंजू यादव के पिता राम अवतार यादव उप्र पुलिस में बतौर इंस्पेक्टर कार्यरत हैं, माता गीता यादव जो कि गृहणी हैं। बकौल अंजू बताती हैं कि पिता के पुलिस में होने के कारण घर का माहौल भी बेहद अनुशासित था। वह अपने पिता के सामने कई बार पीड़ितों को अपना दर्द बयां करते हुये देखती थीं, तो उनके मन में भी यह भाव उठता था कि काश मै भी कुछ ऐसा कर पाऊ जिससे गरीबों और पीड़ितों की मदद हो जाये। असहाय लोगों की मदद का भाव बचपन से मन में रहता था, वह बताती है कि जब वह बारवीं कक्षा में थी तो उनके पिता ने उनको एक न्यायिक अधिकारी से मिलवाया, जिससे वह काफी प्रभावित हुयीं। यह मुलाकात उनकी जिंदगी का एक अहम टर्निंग प्वाइंट साबित हुयी। जिसके बाद उन्होनंे न्यायिक सेवा में जाने का मन ही मन इरादा कर लिया था। वह बताती है उनकी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा लखनऊ में हुयी। इसके बाद उन्होंने एलएलबी आॅनर्स लखनऊ विश्वविद्यालय से किया। इसके बाद उन्होंने शंकुनतला मिश्रा विवि से एलएलएम की डिग्री प्राप्त की। इस दौरान उन्होंने प्रथम बार पीसीएसजे की परीक्षा दी, अपने पहले ही प्रयास में वह इंटरव्यूह के पड़ाव तक पहुंची, लेकिन सफल नहीं हो पायीं। इसके बाद उन्होंने लखनऊ विवि से पीएचडी के साथ न्यायिक परीक्षा की तैयारी करने का भी फैसला लिया। बकौल डा. अंजू ने बताया कि यूपी के साथ उन्होंने समय समय पर बिहार और उत्तराखंड राज्यों में भी पीसीएसजे की परीक्षा में सम्मिलित हुयी, लेकिन वहंा पर भी सफलता हाथ नहीं लगी। आखिर में यूपी में 2022 में पीसीएसजे की परीक्षा में सफलता हाथ लगी। डा. अंजू ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता पिता को दिया।

सफलता के सूत्र

पीसीएसजे की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली डा. अंजू यादव ने बताया कि सफलता का कोई शाॅर्टकट नहीं है, एक प्रतियोगी छात्र या छात्रा को एक रणनीति बना कर पढ़ाई करनी चाहिए। उन्होंने कह कि 8 से 10 घंटे की पढ़ाई बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि कोचिंग के अलावा सेल्फ स्टडी बहुत जरूरी है। खुद के बनाये नोट्स पर भरोसा रखे, जितना ज्यादा हो सके एलएलबी के बेसिक क्लियर करें। इंटरनेट पर कई लॉ ब्लॉग चलते हैं, जिन पर पल-पल की अपडेट आती है। यह लॉ की अपडेट आपके लिए बेहद कारगर होंगी। पीसीएस जे क्वालीफाई करने के लिए सबसे ज्यादा सेल्फ स्टडी जरूरी है। जितना बुक्स पढ़ेंगे, उतना ही फंडे क्लियर होंगे। उन्होंने कहा कि अगर आप लॉ कर रहे हैं और आपका लक्ष्य पीसीएस-जे की परीक्षा है तो आप पढ़ाई के दौरान ही तैयारी शुरू कर दें। उन्होंने कहा कि अलग-अलग अखबारों के संपादकीय पढ़ने से आप विभिन्न विचारों को समझ पाएंगे और देश और दुनिया के बड़े मुद्दों पर आपके विचार भी विकसित होंगे।

समाज के तानो का ऐसे दिया जवाब

डा. अंजू यादव पीसीएसजे परीक्षा की तैयारी कर रही थीं, तो एक समय वह भी आया, जब उनके माता पिता को समाज में यह भी ताने सुनने पड़े कि क्या आपकी बेटी जज बन गयी ! इस तरह के तानों से डा. अंजू बिल्कुल भी विचलित नहीं हुयी। उन्होनें कड़े परिश्रम और मजबूत इच्छाशक्ति की बदौलत पीसीएसजे परीक्षा पास कर अपने माता पिता के सपनों को साकार किया।

महिलाओं को संदेश

पीसीएसजे की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाली डा. अंजू यादव ने महिलाओं खासकर लड़कियों को आत्मनिर्भर बनने की अपील की, उन्होंने कहा कि वह अपनी क्षमता पहचान कर, अपने लक्ष्य के प्रति तब तक प्रयास करे जब तक वह सफल न हो जाये। उन्होंने कहा कि महिलांए खुद की पहचान बनाने का प्रयास करें। महिलाओं को अपने अधिकारों की रक्षा करने के लिए आर्थिक रूप से सक्षम होना अति आवश्यक है। उन्होनें कहा कि खुद को सक्षम बनाये  जिससे  कि अपनी छोटी छोटी जरूरतो के लिए समझौता न करना पड़े। उन्होंने कहा कि महिलाएं गुमनामी की जिंदगी से बेहतर है संघर्षो भरा रास्ता चुने।

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