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रांची में हिंसा के आरोपियों के पोस्टर पर ठनी

नई दिल्ली। अधिकारियों ने वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुरेंद्र झा को पिछले हफ्ते रांची में विरोध प्रदर्शन के दौरान संदिग्धों के पोस्टर लगाने के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया है। नोटिस में जनवरी 2020 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया है कि इस तरह के पोस्टर लगाना निजता के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) का उल्लंघन है और झा को दो दिनों के भीतर जवाब देने को कहा है।
राज्य सरकार ने बुधवार को एक बयान में कहा, गृह सचिव ने कहा है कि पोस्टरों में व्यक्तियों के विवरण और चित्र थे, जो कानूनी रूप से सही नहीं हैं। कार्रवाई 9 जनवरी, 2020 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश का उल्लंघन करती है, जिसमें कहा गया था कि सार्वजनिक रूप से संदिग्धों के पोस्टर लगाना उनके निजता के अधिकार और संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
पुलिस ने मंगलवार को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के निर्देश पर सार्वजनिक स्थानों पर 33 संदिग्धों के पोस्टर लगाकर तकनीकी आधार का हवाला देते हुए उन्हें हटाने से पहले उनके बारे में जानकारी मांगी। उन्होंने विरोध प्रदर्शन के सिलसिले में 29 लोगों को गिरफ्तार किया है।
बता दें कि रांची पुलिस ने मंगलवार को उन पोस्टरों को वापस ले लिया, जो उसने कुछ घंटों पहले जारी किए थे, जिसमें पैगंबर की टिप्पणी को लेकर हाल ही में हुई हिंसा में 30 से अधिक लोगों को आरोपी के रूप में नामित किया गया था। मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक एक आधिकारिक अधिसूचना में, पुलिस ने कहा कि पोस्टरों को हटाया जा रहा है, क्योंकि उनमें कुछ त्रुटि थी, और उन्हें सुधार के बाद लगाया जाएगा। पहले साझा किए गए पोस्टरों में पुलिस के संपर्क विवरण भी थे, जहां नागरिक जानकारी के साथ पहुंच सकते हैं। इसमें लिखा था, कृपया आरोपी की पहचान करें और पुलिस का सहयोग करें।

 

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