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जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समाज को एसटी का दर्जा

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नई दिल्ली। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर के पहाड़ी समुदाय के लोगों को आरक्षण देने का ऐलान कर दिया है. आधिकारिक तौर पर पहाड़ी समाज को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने पर मुहर लग गई है. मंगलवार को इसका ऐलान करते हुए उन्होंने कहा, पीएम मोदी ने जस्टिस शर्मा कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का आदेश दिया है. आर्टिकल 370 हटने के बाद ऐसा संभव हो पाया है. प्रक्रिया पूरी होते ही लोगों को आरक्षण का लाभ मिलने लगेगा.
इसी साल होने वाले जम्मू-कश्मीर चुनाव से पहले गृहमंत्री की घोषणा के सियासी मायने निकाले जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि इस घोषणा का असर सीधेतौर पर राज्य में होने चुनावों में दिख सकता है.

राज्य की आबादी में 40 फीसदी हिस्सेदारी पहाड़ी समुदाय की है. विधानसभा चुनाव से पहले अमित शाह की नजर राजौरी, पुंछ, उत्तरी कश्मीर के सीमावर्ती जिले बारामुला और कुपवाड़ा के मतदाताओं पर है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यहां के पहाड़ी समुदाय के लोगों को एसटी का दर्जा देकर उन्हें साधने की कोशिश की जा रही है. चूंकि वो लम्बे समय से इसकी मांग कर रहे थे, इसलिए चुनाव में यहां से भाजपा को फायदा मिलेगाा.
अमिता शाह का यह तीन दिवसीय दौरा आगामी विधानसभा चुनाव के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. दरअसल, राज्य में परिसीमन के बाद नौ सीटें अनुसूचित जन जाति के लिए पहले ही आरक्षित की जा चुकी हैं. राजौरी-पुंछ की 5 सीटें और घाटी में बांदीपोरा की गुरेज, गांदरबल की कंगल और अनंतनाग की कोकरनाग सीट आरक्षित है. ये वो सीटें हैं जिन पर पहाड़ी समुदाय का प्रभाव है. इसके अलावा कुपवाड़ा, उड़ी सीट पर भी इस समुदाय का असर दिखता है. इस तरह यहां ऐसी कुल 12 सीट हैं.
अमित शाह अपने दौरे के दौरान राज्य के 4 जिलों के 18 लाख से अधिक मतदाताओं को साधने की कोशिश में हैं. मतदाता पुनरीक्षण में यह संख्या और भी बढ़ सकती है. वर्तमान में कुपवाड़ा में 447215, राजौरी में 417102, पुंछ में 301181 और बारामुला में 642299 मतदाता हैं।
पहाड़ी भाषाई अल्पसंख्यक हैं. जम्मू के राजौरी व पुंछ के पहाड़ों और कश्मीर के कुपवाड़ा व बारामूला जिलों में इनकी आबादी रहती है. पहाड़ी समुदाय लंबे समय से स्ञ्ज दर्जा पाने के लिए संघर्षरत हैं क्योंकि उनके साथ रहने वाले दूसरे समुदाय गुर्जरों और बकरवालों को 1991 में ही अनुसूचित जनजाति का दर्जा दे दिया गया था. उन्हें नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में 10 फीसदी का आरक्षण मिल रहा है.
पहाड़ी समुदाय आरक्षण के लिए पिछले 3 दशक से संघर्ष कर रहे हैं. समुदाय के लोगों का कहना है, हम 1989 से आरक्षण की जंग लड़ रहे हैं. पिछले साल अक्टूबर में अमित शाह ने पहाड़ी समुदाय से ही प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाने की बात कही थी. 3 दशक के लम्बे इंतजार के बाद अब मांग पूरी हुई है.

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