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नई दिल्ली। शिवसेना पार्टी और उसका चुनाव चिह्न एकनाथ शिंदे को दिए जाने के खिलाफ उद्धव ठाकरे की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट सुनवाई को राजी हो गया है। कहा कि एससी 31 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा। उद्धव की याचिका में चुनाव आयोग का फैसला रद्द करने की मांग की गई है। एकनाथ शिंदे के शिवसेना से अलग हो जाने के बाद चुनाव आयोग ने उन्हें ही शिवसेना पार्टी का नाम और चिह्न दे दिया था। इसको लेकर उद्धव ठाकरे ने कड़ा एतराज जताया था, लेकिन उन्हें सफलता हाथ नहीं लगी थी।
सीजेआई डी.वाई. की पीठ ने कहा,मामला 31 जुलाई को सूचीबद्ध किया गया है, हम उस दिन इस पर सुनवाई करेंगे। चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा ने उद्धव के वकील अमित आनंद तिवारी से कहा, जिन्होंने मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग की।
इससे पहले 22 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे और ईसी को ठाकरे की याचिका पर दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के लिए बुलाया था और मामले को तीन सप्ताह के बाद सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था। तब, शीर्ष अदालत ने एकनाथ शिंदे गुट को आधिकारिक शिवसेना के रूप में मान्यता देने और उन्हें पार्टी का नाम और चिह्न देने के चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन इसे चुनौती देने वाली उद्धव ठाकरे द्वारा दायर याचिका पर नोटिस जारी करने पर सहमति व्यक्त की थी।
शीर्ष अदालत के समक्ष दायर अपनी याचिका में ठाकरे ने दलील दी है कि चुनाव आयोग इस बात को समझने में विफल रहा है कि याचिकाकर्ता को पार्टी के कार्यकर्ताओं और कार्यकर्ताओं से भारी समर्थन हासिल है।
इसके अलावा, याचिका में तर्क दिया गया कि चुनाव आयोग प्रतीक आदेश के पैरा 15 के तहत विवादों के तटस्थ मध्यस्थ के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल रहा है और उसने अपनी संवैधानिक स्थिति को कमजोर करने का काम किया है।
जवाब में, चुनाव निकाय ने अपने जवाबी हलफनामे में शीर्ष अदालत को बताया है कि उसने अपनी क्षमता के तहत एक बेहतर आदेश पारित किया है, जिसमें शिंदे गुट को शिवसेना का नाम और पार्टी का प्रतीक आवंटित किया गया है।