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लखनऊ। योगी सरकार सबका साथ सबका विकास के सूत्र को लेकर उत्तर प्रदेश के सर्वांगीण विकास को लेकर कृत संकल्प है। इसी को दृष्टिगत रखते हुए प्रदेश के राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) नरेन्द्र कश्यप द्वारा पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वाहन किया जा रहा है। राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग ने पिछड़ा वर्ग कल्याण एवं दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अधिकारियों के साथयोजनाओं की समीक्षा बैठक की। बैठक में विभाग के आगामी योजना तथा पूर्व से संचालित योजनाओं की समीक्षा की गयी। बैठक में मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि योजनाओं का लाभ व्यापक स्तर पर प्रत्येक लाभार्थी को प्राप्त हो, इसके लिए प्रचार-प्रसार के माध्यम से हर-घर व हर परिवार तक व्यापक सूचना पहुचाई जाए।
मंत्री ने पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग के द्वारा संचालित की जा रही योजनाएं पूर्व दशम छात्रवृत्ति योजना प्रदेश के वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए निर्गत समय सारणी अनुसार इस योजना के अन्तर्गत ऑनलाइन आवेदन जो भी प्राप्त हुए हैं। उन छात्रों को 15 दिसम्बर 2022 तक छात्रवृत्ति धनराशि के हस्तान्तरण की कार्यवाही सम्पन्न कर लिए जाने के लिए आदेश दिये व कम्प्यूटर प्रशिक्षण योजना एवं छात्रावास निर्माण योजनाओं की भी समीक्षा कर सुचारू से आगामी कार्य संचालित हो व लाभार्थियों को पूर्ण रूप से लाभ प्राप्त हो इसके लिए योजना बनाकर कार्य को सफलतापूर्वक सम्पन्न करने के आदेश दिये। मंत्री ने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग के अधिकारियों को आदेश देते हुए कहा दिव्यांगजनों के लिए संचालित योजनाओं का लाभ प्रत्येक दिव्यांगजन को प्राप्त हो इसी लक्ष्य के साथ कार्य करना है। दिव्यांगजन भरण-पोषण योजना, कुष्ठावस्था पेंशन योजना, कृत्रिम अंग व सहायक उपकरण योजना, दुकान निर्माण व संचालन योजना, शल्य चिकित्सा अनुदान योजना के बारे में समीक्षा कर कार्य को गति प्रदान कर लाभार्थियों को सफलता पूर्वक लाभ पहुचाने हेतु संबंधित अधिकारियों को आदेशित करते हुए कहा कि दिव्यांगजनों की सेवा ही मेरा आपका धर्म है। विभाग द्वारा संचालित की जा रही योजनाओं को समाज में प्रत्येक दिव्यांगजन तक सुगम तरीके से पहुचाया जाए। मंत्री ने कहा कि डा0 शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में जनपद लखनऊ स्थित एशिया महाद्वीप का द्वितीय विश्वविद्यालय है जिसकी पचास प्रतिशत सीटे दिव्यांगजन के लिए आरक्षित है।