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लखनऊ/बहराइच। आजादी के अमृत महोत्सव काल में मनाया गया स्वतंत्रता दिवस बहराइच जिले के लिए कुछ खास रहा है, इस अमृत महोत्सव में काल में विविध प्रकार के सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन हुआ, इन आयोजनों की खास बात यह रही कि इन कार्यक्रमों से बहुत सी छुपी हुयी प्रतिभाओं को जानने, देखने और समझने का मौका मिला, जिनके बारे में सही ढंग से अभी तक लोग अनजान थे। जी हां, हम बात कर रहे हैं जिले की थारू जनजाति के लोगों की। आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों के जरिये जब इस समाज के लोगों को अपना हुनर पेश करने का मौका मिला तो लोग हैरत में पड़ गये। समाज की मुख्य धारा से कटी इन जनजाति के लोगों का हुनर देख जिले के डीएम डा. दिनेश चन्द्र ने अब इनके उत्थान का बीड़ा उठाया है। इससे पूर्व जिले के डीएम ने जिले में हरे चारे के लिए जो मुहिम छेड़ी थी, उसकी सराहना प्रदेश के मुख्य सचिव ने भी की, मुख्य सचिव ने बहराइच जिले में हरे चारे के लिए जिलाधिकारी द्वारा जिस तरह से काम किये जा रहे हैं,उसको पूरे प्रदेश में लागू करने के निर्देश दिये।
जंगल के बीच रहने वाली थारू जनजाति जिसका कमोबेश शहरी परिवेश में रहने वाले लोगों से कम सामना होता है, लेकिन एक बात जो सबसे जुदा है, वह है थारू जनजाति नृत्य हो या गायन, दस्तकारी हो या कच्ची मिट्टी से घर बनाने की कला, लोगों को आकर्षित करने में सफल होते हैं। इस बार स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों मंे जिले की थारू जनजाति के लोगों को भी अपना हुनर दिखाने का मौका मिला। जिले के दूर-दराज़ थारू बाहुल्य गॉव बलई से आये हुए लोकगीत एवं नृत्य दल ने राम-सीता विवाह गीत ‘‘चनना पिरही देहनै धाराई, चौमुख दियाना देत जलाई’’ की प्रस्तुति से मौजूद लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में जिले की महिला प्रशासनिक अधिकारियों ज्योति राय व पूजा यादव के साथ हाल में मौजूद कुछ अन्य महिलाएं भी थारू महिलाओं का साथ देने के लिए मंच पर पहुॅच गई। राम-सीता विवाह गीत में पुरूष कलाकार राजाराम व राम कुमार तथा महिला कलाकारों में मनीषा कुमारी, राज कुमारी, रंजीता कुमारी, विद्यावती, रोशिना थारू, राजरानी देवी, सरिता देवी, नीशा कुमारी, कल्पना देवी, लगनी देवी व रजनी देवी ने एक दूसरे का बखूबी साथ निभाया और लोगों से शाबाशी बटोरी। जिलाधिकारी डा. दिनेश चन्द्र भी थारू जनजाति के कलाकारों की प्रतिभा को देख हैरत में पड़ गये, उन्होने थारू कलाकारों को अतिथियों के साथ अंगवस्त्र भेंट कर सम्मानित भी किया। उन्होंने इस जनजाति के उत्थान के लिए केन्द्र और प्रदेश सरकार द्वारा चलायी जा रही योजनाओं के लाभ के लिए थारू जनजातियों की बस्ती में कैम्प लगाकर जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिये। अब जिलाधिकारी ने थारू जनजाती के उत्थान और इनको समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए बीड़ा उठाया है।
देश के कोने-कोने में अपनी संस्कृति से परिचय करायेगें थारू जनजाति के कलाकार
आजादी के अमृत महोत्सव काल में आयोजित स्वतंत्रता दिवस के मौके पर बहराइच जिले की थारू जनजाति ने अपने सांस्कृतिक कार्यक्रमों की जो छाप स्थानीय जिला प्रशासन के अधिकारियों पर छोड़ी उससे गददग, जिले के डीएम ने अब इन कालाकारों को एक स्थायी मंच देने का मन बनाया है, जिलाधिकारी ने संस्कृति विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम को इनकी प्रतिभा से अवगत कराया, जिसके बाद प्रमुख सचिव श्री मेश्राम की पहल पर अब संस्कृति विभाग इन कलाकारों को अपने साथ जोड़ने का प्रयास करेगा। संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में थारू जनजाति के लोग अपनी संस्कृति और सभ्यता से परिचय करायेंगे। इन कलाकारों को जहां एक ओर अपना हुनर दिखाने का मौका मिलेगा,तो वहीं इन कलाकारों की आय में भी इजाफा होगा, जिससे यह समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकेंगें।