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दोषियों की रिहाई को चुनौती, बिलकिस बानो ने SC में दायर की पुनर्विचार याचिका

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गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो गैंगरेप मामले में उम्रकैद की सजा पाने वाले सभी 11 दोषियों की समय से पहले रिहाई को लेकर बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. बिलकिस बानो ने शीर्ष अदालत में एक पुनर्विचार याचिका दायर की है, जिसमें सजा में छूट दिए जाने के सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को चुनौती दी गई है. गुजरात सरकार ने 11 दोषियों को रिहा कर दिया था. बिलकिस ने सभी को फिर से जेल भेजने की मांग की है.

गुजरात सरकार की ओर से सजा माफी नीति के तहत 11 दोषियों की रिहाई की अनुमति दिए जाने के बाद वे इस साल 15 अगस्त को गोधरा उप कारागार से बाहर आ गए. इन दोषियों ने जेल में 15 साल से अधिक समय बिताया. मुंबई की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 21 जनवरी 2008 को इन 11 लोगों को गैंगरेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी. उनकी दोषसिद्धि को बंबई हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था.बिलकिस बानो के साथ जब गैंगरेप किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थी और उसे पांच महीने का गर्भ था. मारे गए लोगों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी.

दोषियों की समय से पूर्व रिहाई का विरोध पीड़ित परिवारों के अलावा कई राजनीतिक दलों और मानवाधिकार संगठनों की ओर से किया गया है. कुछ समयपहले सामाजिक, महिला एवं मानवाधिकार सक्रियतावादियों समेत छह हजार से अधिक नागरिकों ने सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया है कि बिलकिस बानो मामलेमें गैंगरेप और हत्या के लिए दोषी करार दिए गए 11 व्यक्तियों की सजा माफ करने के निर्णय को रद्द करने का निर्देश दिया जाए.

संगठनों की ओर से जारी एक संयुक्त बयान में कहा गया, “गैंगरेप और हत्या के दोषी 11 लोगों की सजा माफ करने से उन प्रत्येक रेप पीड़िता परहतोत्साहित करने वाला प्रभाव पड़ेगा जिन्हें न्याय व्यवस्था पर भरोसा करने, न्याय की मांग करने और विश्वास करने को कहा गया है.” बयान जारी करनेवालों में सैयदा हमीद, जफरुल इस्लाम खान, रूप रेखा, देवकी जैन, उमा चक्रवर्ती, सुभाषिनी अली, कविता कृष्णन, मैमूना मुल्ला, हसीना खान, रचनामुद्राबाईना, शबनम हाशमी और अन्य दिग्गज हस्तियां शामिल थीं.

नागरिक अधिकार संगठनों में सहेली वूमन्स रिसोर्स सेंटर, गमन महिला समूह, बेबाक कलेक्टिव, ऑल इंडिया प्रोग्रेसिव वूमन्स एसोसिएशन, उत्तराखंड महिलामंच और अन्य संगठन शामिल थे. बयान में यह मांग भी की गई कि सजा माफी का निर्णय तत्काल वापस लिया जाए. हत्या और रेप के इन दोषियों कोसजा पूरी करने से पहले रिहा करने से महिलाओं के प्रति अत्याचार करने वाले सभी पुरुषों के मन में (दंडित किए जाने का) भय कम हो जाएगा.

बयान में कहा गया, “हम मांग करते हैं कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के विश्वास को बहाल किया जाए. हम इन 11 दोषियों की सजा माफ करने के फैसलेको तत्काल वापस लेने और उन्हें सुनाई गई उम्र कैद की सजा पूरी करने के लिए जेल भेजने की मांग करते हैं.”

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