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राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स,जहां प्रतिदिन हजारों लोग अपना इलाज कराने आते हैं, लेकिन इन दिनों रिम्स अस्पताल बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के बजाय कुव्यवस्था और लापरवाही के कारण सुर्खियों में बना हुआ है. कुछ दिन पूर्व ही रिम्स अस्पताल में बिहार के गया के रहने वाले एक नाबालिक बच्चे की मौत बिजली चले जाने के कारण लिफ्ट में फंसकर हो गई थी. इस घटना के बाद रिम्स अस्पताल की कुव्यवस्था को लेकर काफी नाराजगी देखी गई थी.
इसी बीच रिम्स अस्पताल की एक और बड़ी लापरवाही सामने आ गई. जहां डॉक्टरों ने हजारीबाग की एक मरीज को जिंदा रहते हुए मृत घोषित कर दिया.यही नहीं बल्कि उसका बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया. इसी बीच परिजनों ने चेक किया तो मरीज की सांसे चल रही थी हालांकि, इस घटना के 7घंटे बाद मरीज की मौत हो गई.
दरसल झारखंड के हजारीबाग जिला के सिरका की रहने वाली 36 वर्षीय अंशु देवी नामक महिला को रिम्स अस्पताल के सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गयाथा उन्हीं पित्त की थैली में पथरी की शिकायत थी. मरीज की गंभीर अवस्था को देखते हुए उन्हें आईसीयू में वेंटीलेटर पर रखा गया था. रिम्स के रिकॉर्ड केअनुसार उन्हें पहले से ही हार्ट से जुड़ी परेशानी भी थी.अंशु देवी के परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉक्टरों ने उन्हें जीवित रहते हुए मृत्यु बताकर कैरिंगसर्टिफिकेट दिया, जबकि अंशु देवी की सांसे चल रही थी. जिसके बाद डॉक्टरों को इसकी जानकारी दी गई हालांकि इस घटना के 7 घंटे बाद मरीज की मौतहो गई.
वहीं इस पूरे मामले पर रिम्स अस्पताल के पीआरओ डॉ राजीव रंजन के अनुसार डॉक्टरों ने मरीज को देखकर मौखिक रूप से मृत होने की सूचना दी थी.इसके बाद ईसीजी जांच कराने के बाद मृत होने की पुष्टि कर दी. इसके बाद ही बॉडी कैरिंग सर्टिफिकेट दिया गया है.बता दें कि रिम्स अस्पताल की लचरस्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर हाईकोर्ट ने कई बार रिम्स प्रबंधन को फटकार लगाई थी. हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा था कि रिम्स अस्पताल नहीं संभलरहा है तो अपना निदेशक का पद छोड़ दें. हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था, रिम्स को सुधारने के लिए किसी आईएएस की प्रतिनियुक्ति कर दी जाए.बावजूद इसके रिम्स अस्पताल में लापरवाही थमने का नाम नहीं ले रही है.