Breaking News

आखिर क्यों मैनपुरी उपचुनाव है प्रतिष्ठï का केंद्र

Getting your Trinity Audio player ready...

लखनऊ। मैनपुरी उपचुनाव में इस वक्त वोटिंग चल रही है। यह सीट यूपी की हॉट सीट बन गई है। यहां पर सीधा मुकाबला भाजपा और सपा के बीच है। दोनों ही सियासी दलों ने इस उपचुनाव में इस सीट पर अपनी ताकत झोंक दी है। सपा हर कीमत पर इस सीट को जीत अपनी मजबूत पकड़ का एहसास भाजपा को कराना चाहती है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा की कोशिश इस सीट को जीतकर यह दावा करने की है कि मुलायम के बाद अब सपा के अखिलेश युग पार्टी का सूरज अस्त होने की कगार पर है। सूबे की राजनीति में मैनपुरी लोकसभा का उप चुनाव बेहद खास है। पांच बार के सांसद रहे मुलायम सिंह यादव की विरासत संभलेगी या भारतीय जनता पार्टी यहां से विजयश्री का इतिहास रच सकेगी। इसका फैसला मतदाता ईवीएम में कैद करेंगे। मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद यहां से सपा संरक्षक की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी चुनावी अखाड़े में हैं। वहीं भारतीय जनता पार्टी से रघुराज सिंह शाक्य प्रत्याशी है।


समाजवादी पार्टी ने यहां जीत का सिलसिला बरकरार रखा है। इस सीट पर 1996 के सपा का कब्जा है और इसे सपा का गढ़ माना जाता है। सपा के सामने इस गढ़ को बचाने के साथ मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे चुनाव को जीतकर उनकी विरासत को बरकरार रखने की भी चुनौती है। सपा ने इस बार आजमगढ़ में हार मिलने के बाद यहां पूरी ताकत झोंक दी है। उत्तर प्रदेश की दो विधानसभा सीटों पर भी सपा और लोकदल भारतीय जनता पार्टी को टक्कर दे रहे हैं। ये सीटें हैं रामपुर सदर और खतौली। यहां पर भी चुनाव हो रहा है।
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा की सीट इस साल खाली हुई थी। यहां से परिवार की बहू और अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव समाजवादी पार्टी का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। सपा मुखिया अखिलेश यादव ने मुलायम की विरासत को खुद के पास रखने का संदेश साफ करते हुए ही अपनी पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में पूरा परिवार कोई जोखिम लेने को तैयार नहीं। जीत और बड़े अंतर को सुनिश्चित करने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव जमकर पसीना बहा रहे हैं। लेकिन टक्कर कांटे की मानी जा रही है। सपा से दूर हुए अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल सिंह इस उप चुनाव में एक हुए हैं। चाचा शिवपाल यादव के साथ एकता का सार्वजनिक मंच से प्रदर्शन किया गया। ताकि लोगों में संदेश जाए कि सैफई परिवार एक है।
मैनपुरी जनपद में सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव को धरतीपुत्र के रूप में जाना जाता था। उनकी इस पहचान को बरकरार रखने के लिए सपा मुखिया अखिलेश यादव ने गांव-गांव में प्रचार किया और पुराने कार्यकर्ताओं से जनसंपर्क भी किया। सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद हो रहे चुनाव में लोगों से श्रद्धांजलि के रूप में वोट की अपील की गई। भारतीय जनता पार्टी ने प्रदेश में गुंडागर्दी, विकास और सबका साथ-सबका विकास होने का हवाला देकर ये चुनाव लड़ा है।
यूपी के रामपुर सदर में भाजपा ने आजम खां के करीबी असीम राजा के खिलाफ पार्टी के पूर्व विधायक शिव बहादुर सक्सेना के बेटे आकाश सक्सेना प्रत्याशी हैं। वहीं खतौली विधान सभा में विक्रम सिंह सैनी की पत्नी राजकुमारी सैनी रालोद के मदन भैया के खिलाफ चुनाव लड़ रही हैं। इन दोनों सीटों पर कांटे का मुकाबला माना जा रहा है।
आज के मतदान के बाद आठ दिसम्बर का दिन सपा और भाजपा के लिए अहम होगा। वैसे इन तीन सीटों पर जीत-हार से संसद में कोई खास प्रभाव नहीं पड़ेगा लेकिन यूपी में मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद सपा और परिवार की ताकत का चुनाव होगा ऐसा माना जा रहा है।
भाजपा का सबसे ज्यादा जोर कमजोर बूथों पर रहा है। उन बूथों को चिन्हित किया गया है, जहां पर बीते लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी को बहुत कम वोट मिले थे। इन बूथों पर मत प्रतिशत बढ़ाने के लिए भाजपा ने ताकत झोंकी है। सपा का गढ़ ढहाने के लिए भाजपा ने यहां दोनों उप मुख्यमंत्री को जनसभा के लिए भेजा। वहीं सूबे के मुखिया ने दो बार यहां जनसभा को संबोधित किया।

Check Also

स्वच्छता के संकल्प को पूरा करने के लिए शहरों की स्वच्छता, सुंदरीकरण का कार्य सतत रहे जारी- मंत्री ए.के. शर्मा

Getting your Trinity Audio player ready... लखनऊ,(मॉडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः राष्ट्रपिता महात्मा गांधी देश के सबसे …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *