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मणिपुर में बाप-बेटे समेत 3 की हत्या

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नई दिल्ली। मणिपुर में तीन महीने से हिंसा जारी है। मैतेई और कूकी समुदाय के लोग एक-दूसरे के खिलाफ हिंसक हो रखे हैं। इस बीच बिष्णुपुर में देर रात बाप-बेटे समेत एक ही परिवार के तीन लोगों की हत्या कर दी गई। पुलिस ने बताया कि जिले के क्वाक्टा इलाके में इन तीनों लोगों को सोते समय गोलियां मारी गईं और फिर उन पर तलवार से हमला किया गया। सभी हमलावर चुराचांदपुर से आए थे।
पुलिस बताया कि तीनों मृतक एक राहत शिविर में रह रहे थे, लेकिन स्थिति में सुधार होने के बाद वह शुक्रवार को क्वाक्टा में अपने घर लौट गए थे।घटना के तुरंत बाद गुस्साई भीड़ क्वाक्टा में जमा हो गई और चुराचांदपुर की तरफ बढऩे लगी, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उसे रोक दिया। फौगाकचाओ और क्वाक्टा के आसपास राज्य के सुरक्षा बलों और उग्रवादियों के बीच गोलीबारी होने की भी खबरें हैं।
केंद्रीय सुरक्षा बलों ने बिष्णुपुर और आसपास के इलाके में दर्जनों बफर जोन बनाए हैं। पिछले कई घंटों से इंफाल और बिष्णुपुर खासतौर पर हिंसा का केंद्र बना हुआ है। यहां आगजनी और तोडफ़ोड़ की कई घटनाएं सामने आई है। बिष्णुपुर में हिंसा की ताजा घटनाओं के बीच पूर्वी इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कफ्र्यू में पूरी तरह से ढील दे दी गई है। एहतियाती तौर पर दिन के समय में कफ्र्यू जारी रखने का फैसला किया गया है। मीडिया रिपोट्र्स की मानें तो मैतेई समुदाय की भीड़ बिष्णुपुर में सुरक्षा बलों से भिड़ गई। भीड़ को हटाने के लिए सुरक्षा बलों को गोलियां चलानी पड़ी।
पता चला कि यह घटना तब हुई जब मैतेई महिलाएं जिले में एक बैरिकेड क्षेत्र को पार करने की कोशिश कर रही थीं। उन्हें असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) ने रोका, जिससे समुदाय और सशस्त्र बलों के बीच पथराव और झड़पें हुईं। असम राइफल्स और रैपिड एक्शन फोर्स की गोलीबारी में 19 लोगों के घायल हो गए।
बिष्णुपुर के कांगवई और फौगाकचाओ में यह झड़प हुई। इस बीच बिष्णुपुर आउटपोस्ट पर 300 हथियारों की लूट हो गई। भीड़ ने आउटपोस्ट को घेर लिया था और सभी गथियार लूट कर ले गए। लगभग उसी समय मैतेई-बहुल बिष्णुपुर जिले में दो पुलिस चौकियों में भी हथियारों की लूट हुई लेकिन यहां दूसरी हथियारबंद भीड़ ने हमला किया था। सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के बावजूद पूर्वोत्तर राज्य में हिंसा थम नहीं रही है। इससे पहले भी, मई में भीड़ ने घाटी और पहाडिय़ों दोनों में पुलिस स्टेशनों, रिजर्व, बटालियनों और लाइसेंसी हथियारों की दुकानों से 4,000 से ज्यादा हथियार और पांच लाख से अधिक गोला-बारूद लूट लिया था। इनमें 45 फीसदी हथियार कर लिए गए।
लगभग तीन महीने पहले पूर्वोत्तर राज्य में जातीय हिंसा भडक़ उठी थी। तब से अब तक 160 से अधिक लोग मारे गए हैं और मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किए जाने के बाद 3 मई को हिंसा भडक़ उठी। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 फीसदी है और वे ज्यादातर इंफाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 फीसदी हैं और मुख्य रूप से पहाड़ी जिलों में रहते हैं।

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