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लखनऊ। मुहर्रम की दसवीं तारीख यौम-ए-आशूर के दिन शहर में या हुसैन, या हुसैन की सदाएं गूंजती रहीं। कर्बला के 72 शहीदों का गम मनाने के लिए अकीदतमंद बेकरार दिख रहे थे। बीते दिनों मुस्लिम समुदाय ने अपने-अपने तरीकों से हजरत इमाम हुसैन और उनके साथियों को खिराजे अकीदत पेश की। राजधानी में दिन भर मातम और ताजिया दफन करने का सिलसिला चलता रहा। घरों में नज्र का आयोजन किया गया। सुन्नी समुदाय ने जहां रोजा रखा, तो शिया समुदाय ने फाका कर हजरत इमाम हुसैन को पुरसा दिया।
विक्टोरिया स्ट्रीट स्थित इमामबाड़ा नाजिम साहब में मजलिस को मौलाना फरीदुल हसन ने खिताब किया। यौम-ए-आशूर का जुलूस निकला तो सभी मातमी अंजुमनें अपने-अपने अलम के साथ मातम करती हुई साथ हो लीं। जुलूस में शामिल कई लोग हाथों में तिरंगा झंडा लहराते हुए शामिल हुए। नौहाख्वानी व सीनाजनी करती हुई शहर की तमाम अंजुमने जुलूस के साथ चल पड़ीं। जुलूस में शामिल सैकड़ों की संख्या में अजादार जंजीर का मातम (छुरियों का मातम) और कमां लगा कर इमाम हुसैन को अपने खून से पुरसा देते हुए चल रहे थे। जुलूस अपने तय रास्ते शिया कॉलेज, नक्खास, चिड़िया बाजार, बिल्लौचपुरा, बुलाकी अड्डा, चौकी मिल एरिया होते हुए कर्बला तालकटोरा पर पहुंचकर संपन्न हुआ। इस दौरान पुलिस सीसीटीवी और ड्रोन कैमरों के जरिए निगरानी करती रही। जुलूस के तालकटोरा पहुंचने पर अजादारों ने अपने घरों के ताजियों को सुदुर्द-ए-खाक किया। इसके बाद आशूर के आमाल किए गए। इमाम को पुरसा देने के लिए कर्बला दियानुद्दौला, रौजा ए काजमैन, पुराना नजफ, काला इमामबाड़ा, पुत्तन साहब की कर्बला आदि जगहों पर अकीदतमंदों ने ताजिये दफन किए। यह सिलसिला शाम तक चलता रहा। वहीं सुन्नी समुदाय के लोगों ने भी इमाम हुसैन की याद में मुहर्रम का जुलूस निकाला गया, जुलूस अपने निर्धारित मार्गो से होता हुआ कर्बला ले जाया गया। निशातगंज स्थित उमराव हाता में ताजिया, और जुलूस निकाला गया। यौम ए आशूर में सुन्नी समुदाय की ओर से बादशाह नगर कर्बला, डालीगंज स्थित नसीरुद्दीन हैदर और खदरा स्थित गार वाली कर्बला में घरों के ताजिए सुपुर्द ए खाक कर हजरत इमाम हुसैन के पुरसा दिया। बादशाह नगर कर्बला में सुबह से ताजियों के दफन करने का शुरू हुआ सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। दरगाह शाहमीना शाह पर कुरानख्वानी का आयोजन किया गया।