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राष्ट्रपति चुनाव की वो जानकारी जो नहीं जानते होंगे आप

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नई दिल्ली। देश का अगला राष्ट्रपति कौन होगा, इस पर सबकी निगाहें लगी हैं. सत्तापक्ष और विपक्ष अपने उम्मीदवारों के नामों पर विचार-विमर्श कर रहा है. राम नाथ कोविंद के उत्तराधिकारी को देश के सर्वोच्च संवैधानिक पद के लिए चुनने के लिए भारत भर के योग्य सांसद और विधायक 18 जुलाई को राष्ट्रपति चुनाव में मतदान करेंगे. वोटों की गिनती 21 जुलाई को होगी और नया राष्ट्रपति 25 जुलाई तक राष्ट्रपति भवन में होगा. शरद पवार और नीतीश कुमार ने खुद को राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवारों की सूची से बाहर कर लिया है, वहीं आरिफ मोहम्मद खान और वेंकैया नायडू को लेकर भी अटकलें लगाई जा रही हैं. एक उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में व्यापक विचार-विमर्श चल रहा है. विपक्ष, खासकर कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के लिए यह 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एकता की परीक्षा होगी.
अन्नाद्रमुक और वाईएसआरसीपी जैसी पार्टियों का समर्थन यदि एनडीए को मिलता है तो संख्याबल वर्तमान में एनडीए के पक्ष में होगा. जम्मू-कश्मीर में विधानसभा न होने के कारण एक सांसद के वोट का मूल्य इस बार 708 से घटकर 700 हो गया है. राष्ट्रपति चुनाव में एक सांसद के वोट का मूल्य दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर सहित राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की विधानसभाओं में निर्वाचित सदस्यों की संख्या पर आधारित होता है.
जैसा कि भारत के 15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए प्रक्रिया औऱ राजनीतिक जोड़-तोड़ शुरू हो गयी है. लेकिन अभी हम इस चुनाव पर नहीं पिछले राष्ट्रपति चुनावों में सबसे अधिक और सबसे कम वोट अंतर से जीतने वाले राष्ट्रपति पर एक नजर डालते हैं.

सबसे अधिक अंतर वाला चुनाव

1957: भारत के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद दूसरे कार्यकाल के लिए मैदान में थे. उनके खिलाफ चौधरी हरि राम और नागेंद्र नारायण दास थे. राजेंद्र प्रसाद को 4,59,698 मत मिले, जबकि दास और राम संयुक्त रूप से 5,000 से भी अधिक मत प्राप्त करने में विफल रहे.
1962: डॉ. एस राधाकृष्णन, चौधरी हरि राम और यमुना प्रसाद त्रिसूलिया राजेंद्र प्रसाद की जगह लेने के लिए मैदान में थे. डॉ राधाकृष्णन को 5,53,067 वोट मिले, जबकि अन्य दोनों उम्मीदवारों को मिलाकर केवल 10,000 वोट मिले.
1977: इसे तकनीकी रूप से चुनाव नहीं माना जा सकता लेकिन निश्चित रूप से यह सबसे सर्वसम्मत था. फरवरी 1977 में फखरुद्दीन अली अहमद की आकस्मिक मृत्यु के बाद राष्ट्रपति चुनाव में कुल 37 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किया. जांच करने पर, रिटर्निंग ऑफिसर ने उनमें से 36 को खारिज कर दिया, जिसके परिणामस्वरूप नीलम संजीव रेड्डी को निर्विरोध चुना गया.
1997: केआर नारायणन टीएन शेषन के खिलाफ भारत के 11वें राष्ट्रपति बने. नारायणन को 9,56,290 वोट और शेषन को 50,631 वोट मिले.
2002: भारत के मिसाइल मैन डॉ एपीजे अब्दुल कलाम चुनावों में सबसे पसंदीदा थे. उन्हें लक्ष्मी सहगल को मिले 1,07,366 के मुकाबले 9,22,884 वोट मिले.

सबसे कम अंतर वाला चुनाव

1967: मैदान में 17 उम्मीदवारों में से नौ को शून्य वोट मिले. जाकिर हुसैन 4,71,244 मतों के साथ विजयी हुए, जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंद्वी कोटा सुब्बाराव को 3,63,971 मत मिले.
1969: मई 1969 में निवर्तमान राष्ट्रपति डॉ. जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण चुनाव आवश्यक हो गए, जिसके बाद उपराष्ट्रपति वीवी गिरि कार्यवाहक राष्ट्रपति बने. उन्होंने राष्ट्रपति चुनाव लडऩे के लिए दोनों पदों से इस्तीफा दे दिया. चुनावों से पहले अति नाटकीय राजनीतिक घटनाक्रम ने कांग्रेस में एक ऐतिहासिक विभाजन किया. क्योंकि इंदिरा गांधी नीलम संजीव रेड्डी का समर्थन करने के लिए अनिच्छुक थीं, जो सिंडिकेट गुट के पसंद थे. चुनाव में दूसरी तरफ वीवी गिरि मैदान में थे. गांधी बनाम रेड्डी की लड़ाई में कांग्रेस का समर्थन गिरि को प्राप्त था. गिरि ने अंतत: 4,20,277 मतों के साथ चुनाव जीता, जबकि रेड्डी को 4,05,427 मत मिले.

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