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नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद 1989 के अपहरण मामले में शुक्रवार को सीबीआई की विशेष अदालत में पेश हुई। इस दौरान उन्होंनेे जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपहर्ताओं के रूप में की। इस पूरे मामले पर रूबैया सईद की बहन और पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा है कि उन्हें गवाह के तौर पर किसी की पहचान करने के लिए बुलाया गया था. उनके अनुसार, रुबैया सईद के लिए यासीन मलिक को पहचानना आसान था क्योंकि वह लंबे समय से पब्लिक डोमेन में है।
उन्होंने कहा कि 32 साल एक लंबा समय है और लोग बहुत कुछ भूल जाते हैं, हालांकि वह किसी और को पहचान नहीं पाई और अपना कर्तव्य निभाया। आपको बता दें कि यह पहला मौका था जब रुबैया को इस मामले में कोर्ट में पेश होने के लिए कहा गया था। अपहरणकर्ताओं ने पांच आतंकवादियों की रिहाई के बदले उसे अपनी कैद से रिहा कर दिया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने तमिलनाडु की रहने वाली रुबैया को अभियोजन पक्ष के गवाह के रूप में सूचीबद्ध किया है।1990 के दशक की शुरुआत में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई थी। रुबैया ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत में मौजूद यासीन मलिक की पहचान उसके अपहरणकर्ताओं में से एक के रूप में की। उन्होंने जज से कहा, ये वो शख्स है और उसका नाम यासीन मलिक है. यह वही शख्स है जिसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसकी बात मानने से इनकार किया तो मुझे बुरा परिणाम भुगतना होगा।
बाद में रुबैया ने अदालत में प्रदर्शित तस्वीरों में यासीन मलिक को अपहरणकर्ता के रूप में भी पहचाना। रुबैया के अपहरण का मामला एक तरह से ठंडे बस्ते में चला गया था। हालांकि, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा आतंकवाद के वित्तपोषण के आरोप में यासीन मलिक की गिरफ्तारी के बाद 2019 में इसका परीक्षण फिर से शुरू हुआ। सीबीआई ने पिछले साल जनवरी में विशेष लोक अभियोजक मोनिका कोहली और एसके भट की मदद से रुबैया अपहरण मामले में यासीन मलिक समेत दस लोगों के खिलाफ आरोप तय किए थे। रुबैया का अपहरण घाटी के अस्थिर इतिहास की एक बड़ी घटना मानी जाती है। जेकेएलएफ के पांच सदस्यों को उनकी आजादी के बदले में रिहा करने को उन आतंकी समूहों के लिए मनोबल बढ़ाने वाले कदम के रूप में देखा गया, जिन्होंने उस समय अपना सिर उठाना शुरू कर दिया था। सुनवाई के दौरान रुबैया ने विशेष न्यायाधीश के समक्ष अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने यासीन मलिक और तीन अन्य की पहचान अपहर्ताओं के रूप में की। प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक को हाल ही में आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।