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जोशीमठ/देहरादून। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के अगुवाई वाली कैबिनेट में जोशीमठ पुनर्वास पॉलिसी को मंजूरी दे दी है। इस पॉलिसी के तहत जोशीमठ में जमीन में आई दरारों की वजह से प्रभावित हुए परिवार को मुआवजा दिया जाएगा। राज्य की तरफ से घरों और दुकानों को मुआवजा दिए जाने की घोषणा हुई है, जबकि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (हृष्ठरू्र) की तरफ से जमीन के मुआवजे से संबंधित रिपोर्ट का अभी भी इंतजार है।
जोशीमठ पुनर्वास योजना को तीन हिस्सों में बांटा गया है, जो है- दर, विकल्प और परिस्थिति। जहां तक घरों की दर का सवाल है तो कैबिनेट की तरफ से सीपीडब्ल्यूडी की तरफ से तय की गई। रेट के अनुसार मुआवजा दिए जाने का फैसला किया गया है। प्रभावित इमारतों के मूल्य का नुकसान को नई इमारत तैयार होने में के खर्चे में से हटाकर फिर मजा की राशि तय की जाएगी।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन के सचिव रंजीत सिन्हा ने कहा, ‘प्रभावित इमारतों की दर का कैलकुलेशन सीपीडब्ल्यूडी के स्टैंडर्ड नियमों के मुताबिक किया गया है। इसमें आरसीसी घरों के लिए 36000 रुपये प्रति स्क्वैर मीटर और लोड बेयरिंग घरों के लिए 31000 रुपये प्रति स्क्वैर मीटर के हिसाब से दर तय की गई है। वहीं बात अगर कमर्शियल बिल्डिंग की की जाए तो आरसीसी निर्माण के लिए 45000 हजार रुपये प्रति स्क्वैर मीटर और लोड बेयरिंग निर्माण के लिए 39000 रुपये प्रति स्क्वैर मीटर की दर से रकम तय की गई है।’
घर के मालिकों को तीन विकल्प दिए गए हैं। इसके अनुसार वह या तो मुआवजा लें या फिर 75 मीटर की जमीन उन्हें सौंप दी जाए। अगर जोशीमठ में उनकी मौजूदा जमीन 75 स्क्वायर मीटर से अधिक है तो उन्हें अतिरिक्त जमीन का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही अगर कोई घर का निर्माण करा पाने में सक्षम नहीं है तो राज्य की तरफ से उनके लिए यह निर्माण कराया जाएगा।
दुकान के मालिकों को इसी तरह के विकल्प दिए गए हैं। वह या तो क्षतिग्रस्त हुए निर्माण का मुआवजा क्लेम कर सकते हैं या फिर 15 स्क्वैर मीटर की जमीन ले सकते हैं। इसके अतिरिक्त यदि मालिक चाहे तो सरकार की तरफ से उनके लिए दुकान का निर्माण किया जा सकता है। इसके साथ ही जोशीमठ में एक साल से अधिक समय से रह रहे लोगों के लिए दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता का प्रावधान किया गया है। इसमें कंडीशन या दी गई है कि उनके किराए के घर या दुकान को असुरक्षित घोषित किया गया हो।