नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज अपने ऐतिहासिक फैसले में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला दे दिया. शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण संविधान के बुनियादी ढांचे का उल्लंघन नहीं करता. इस मामले पर अलग-अलग राजनीतिक दलों ने अपना कमेंट दिया है. कांग्रेस नेता उदित राज ने फैसले पर ही सवाल उठाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है और मैं अपनी इस टिप्पणी पर स्टैंड करता हूं.
चीफ जस्टिस यूयू ललित के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने केंद्र द्वारा 2019 में लागू किए गए 103वें संविधान संशोधन की वैधता को चुनौती देने वाली 40 याचिकाओं पर चार अलग-अलग फैसले सुनाए. न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी, न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी एवं न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला ने कानून को बरकरार रखा, जबकि न्यायमूर्ति ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने इसे रद्द कर दिया. उदित राज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट जातिवादी है और मैं अपनी इस टिप्पणी पर स्टैंड करता हूं. मैं ईडब्ल्यूएस के आरक्षण के विरोध में नहीं हूं लेकिन फैक्ट ये है कि 30 साल से इंदिरा साहनी के फैसले का हवाला दिया जाता रहा कि आरक्षण पर सीलिंग है और आज क्या हुआ, कहां गया इंदिरा साहनी जजमेंट ?
उन्होंने कहा कि ये अपर कास्ट मानसिकता का फैसला है. मेरी पार्टी क्या कोई भी मेरी बात का विरोध कैसे कर सकता है? मैंने फैक्ट कहा है कोई कैसे विरोध कर सकता है. उन्होंने कहा कि मैं फैसले को चैलेंज नहीं करने जा रहा क्योंकि उन्हीं लोगों के पास जाने का क्या फायदा. महाराष्ट्र सीएम एकनाथ शिंदे ने फैसले पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण पर जो फैसला दिया है उसके लिए मैं दिल से शुक्रिया अदा करता हूं. इससे सभी जाति धर्म के गरीब तबके के लोगों को फायदा मिलेगा. गरीबों को मुख्यधारा में लाने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा.
महाराष्ट्र उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने फैसले पर उदित राज के बयान पर कहा कि उदित राज ने जो बयान दिया है उससे क्या कांग्रेस सहमत है ? क्या ये कांग्रेस का आधिकारिक बयान है? पहले ये बातें कांग्रेस क्लियर करें उसके बात हम बोलेंगे. सुप्रीम कोर्ट का बहुत बहुत आभार. पीएम मोदी ने आर्थिक रुप से कमजोर लोगों को ईडब्लूएस के जरिए सहारा दिया था. अब जो आर्थिक रुप से कमजोर हैं उन्हें फायदा मिलेगा.
सीजेआई ने कोर्ट रूम में 35 मिनट से अधिक समय तक चार अलग-अलग फैसले पढ़े. न्यायमूर्ति माहेश्वरी ने अपना निर्णय पढ़ते हुए कहा कि 103वें संशोधन को संविधान के मूल ढांचे को भंग करने वाला नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि रिजर्वेशन सकारात्मक कार्य करने का एक जरिया है ताकि समतावादी समाज के लक्ष्य की ओर एक सर्व समावेशी तरीके से आगे बढऩा सुनिश्चित किया जा सके और यह किसी भी वंचित वर्ग या समूह की समावेशिता का एक साधन है. न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि 103वें संविधान संशोधन को भेदभाव के आधार पर रद्द नहीं किया जा सकता.