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पुलिस का वो कैफै जो बटोर रहा सुर्खियां

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लखनऊ। पुलिस की नौकरी में अनियमित दिनचर्या और लगातार बढ़ता काम का बोझ बहुत साधारण सी बात लगती है, पर इसका खामियाजा न सिर्फ पुलिसवालों को बल्कि उनके परिवारवालों तक को उठाना पड़ता है, इससे जहां खुद पुलिसकर्मी भी मानसिक रूप से बहुत दबाव महसूस करते हैं, तो वहीं उनके परिवारवाले भी अपने आपको अकेला महसूस करते हैं, इस अकेलेपन को भरने और पुलिसवालों व उनके परिवार को सुखद अनुभूति का एहसास दिलाने के लिए आइपीएस आकाश तोमर व उनकी सहयोगी आइपीएस प्रीति यादव ने एक अभिनव प्रयोग करते हुये, सहारनपुर की पुलिस लाइन में बेल आउट कैफे की स्थापना की, जिसके बेहद सकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं। इस कैफे की सराहना यूपी के मुख्य सचिव तक ने की है।
इस कैफे के अन्दर प्रवेश करते ही, सकारात्मक ऊर्जा का पैरामीटर अपने आप हाई हो जाता है, वजह ये है कि इस बेलआउट कैफे का जो डिजाइन है, वह अपने आप में अनूठा है, इंटीरियर डिजाइन की ज्यादातर चीजें स्थानीय बाजार से मंगवाई गयी हैं, लाइट और साज-सज्जा का ऐसा भव्य और मनोरम संगम आपके दिल-दिमाग में एकदम अनुपम छाप छोड़ेगा। कैफे में बैठकर ऐसा लगेगा जैसे किसी पांच सितारा होटल के रेस्टोरेंट में बैठे हैं। शुद्ध शाकाहारी लज़ीज खाना और वो बाजार से कम रेट पर इस कैफे में उपलब्ध है।
खास बात यह है कि यह न सिर्फ पुलिसवालों के लिए बल्कि सहारनपुर की आम जनता भी इस कैफे बैठ कर आनंद की अनुभूति प्राप्त कर सकती है। जिससे पुलिस और पब्लिक के बीच के रिश्ते और भी बेहतर होगें, आमजन का पुलिस पर विश्वास बढ़ेगा। जिससे मित्र पुलिस की अवधारण पूरी होती हुई दिखेगी। कैफे मंे सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस पूरे एरिये को नो वाई-फाई जोन घोषित किया गया है, इसके पीछे मकसद यह है कि यहां आने वाले आगन्तुक एक दूसरे से विचार आदान प्रदान कर सकें। इसके अलावा कैफे में किटी पार्टी या अन्य छोटे समारोह करने के लिए भी व्यवस्था की गयी है। इस तरह के अनूठे कैफे खोलने की पीछे की मंशा बताते हुये 2019 बैच की आइपीएस अधिकारी प्रीति यादव बताती हैं कि उनके पिताजी भी चंडीगढ़ में पुलिस विभाग में कार्यरत हैं, पुलिस की नौकरी के सभी पहलुओं को उन्होंने अपने होस संभालते ही महसूस करना शुरू कर दिया था, अब जब इसी महकमे की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ तो सोचा कि पुलिस के बारे में जो आम धारणा है वह ऐसी नहीं है जैसे की लोग सोचते हैं, पुलिस भी इंसान है, उनका भी परिवार होता है। वह भी आम लोगों की तरह है, पुलिस ऐसी नहीं जैसी की आमजन में धारणा बनाई गयी है। पुलिस और पब्लिक के संबध को बेहतर बनाने की दिशा में एक छोटी सी पहल है। वहीं सहारनपुर के एसएसपी आकाश तोमर ने कहा कि सहारनपुर पुलिस आमजन के लिए मित्र पुलिस है। लोग बेल आउट कैफे में आये और पुलिस कर्मियों से संवाद स्थापित कर, पुलिस को अपना मित्र समझें। श्री तोमर जिले कानून व्यवस्था दुरूस्त करने के साथ ही इसके जिले लाइब्रेरी, मॉडल बैरक व ओपेन जिम सहित अन्य बेहतरीन कार्य कर रहे हैं।

आखिर क्यों पड़ी बेलआउट कैफे की जरूरत

पुलिस और पब्लिक के बीच आपसी संवाद को बढ़ावा देना है, जिससे वह दोनो एक प्लेटफार्म पर बैठ कर चाय पर चर्चा कर सके और पुलिस को भय के रूप में न देखकर पुलिस को अपना मित्र समझे। वहीं इसके पीछे एक और मंशा यह भी है कि पुलिसकर्मियों का काफी व्यस्त शेड्यूल रहता है, और वो चाह कर भी अपने या परिवार के लिए किसी रेस्टोरेंट नहीं जा सकते हैं, ऐसे पुलिसवालों के लिए यह बहुत ही मुफीद साबित हो रहा है, इस बेलआउट कैफे में सुकून के पल बीता सकें। वही पुलिसवालों के परिवार की महिलाएं किटी पार्टी और जन्मदिन जैसे छोटे कार्यक्रम भी आसानी से कर सकती हैं।

दिवारों पर लिखे मन की बात

कैफे में एक वॉल ऑफ परसेप्शन। जिस पर कुछ लोगों ने भरोसेमंद, सिंघम, ठांय-ठांय और फर्ज जैसे शब्द लिखे हैं तो कुछ ने वसूली, घूस और डर जैसे शब्दों से भी पुलिस को पहचान दी है। माहौल को हल्का करने के लिए ऐसी फिल्मों के पोस्टर भी लगे हैं, जिनमें हीरो पुलिसवाला हो। प्रीति के मुताबिक मुजफ्फरनगर और मुरादाबाद में भी इस तरह के कैफे हैं, लेकिन वहां बाहरियों की एंट्री नहीं हैं। बेलआउट कैफे में आने वाले आगन्तुकों के लिए एक सहुलियत यह भी है कि वह यहां आकर जो भी कुछ इस कैफे मंे महसूस किया उसे अपने विचारों के माध्यम से बोर्ड पर लिख सकते हैं, इसके साथ ही आम जन में पुलिस की क्या इमेज है, पुलिस के लिए जनता क्या सोच रखती है, इसको लेकर भी वह अपन मन की बात लिख सकते हैं।

बेलआउट कैफे में इंटरनेट को ना

अभी तक जो प्रतिष्ठान बनाये जाते रहे हैं उसमें एक बात मोटे मोटे अक्षरों में लिखी होती है, वह है फ्री वाई-फाई जोन। वहीं बेलआउट कैफे में ठीक इसके विपरीत अन्दर प्रवेश करते ही लिखा है नो वाई-फाई जोन। इसके पीछे मकसद यह है कि पुलिस हो या पब्लिक जब कोई यहां आकर बैठे और सुकून के दो पल बिताये तो वह आपस में संवाद स्थापित कर सकें। जिससे पुलिस और अमजन का संबध और गहरा बन सके।

आइपीएस प्रीति यादव की रचनात्मकता का नतीजा है, बेलआउट कैफे

आइपीएस प्रीति यादव रचनात्मकता का नतीजा है, बेलआउट कैफे। इस कैफे को डिजाइन से लेकर इंटीरियर तक का आइपीएस प्रीति यादव ने डिजाइन किया है। पूर्व में इसी जगह एक पुरानी कैंटीन थी, जो अब बेलआउट कैफे के नाम से पूरे प्रदेश में जानी जा रही है। बेल आउट कैफे की छत बांस की टोकरियों से सजाया गया है, इसके साथ ही जालीदार आकर्षक लाइटें लगायी गयी हैं। आधुनिक तरीकों की लाइटों से यह कैफे रात होते ही जगमगा जाता है। दीवारों में आकर्षक तरीके का रंगरोगन मनमोह लेती है। प्रीति यादव ने बताया कि सभी रंगों में एक निश्चित ऊर्जा होती है, इसलिए यहां पर हमने लगभग सभी रंगों का उपयोग किया है ताकि हमारे पुलिसकर्मी अपने कठिन कर्तव्यों को पूरा करने करने के बाद गुणवत्तापूर्वक सुकून के पल बीता सके।

क्या कहते हैं एसएसपी सहारनपुर आकाश तोमर

बेलआउट कैफे पर चर्चा करते हुये एसएसपी सहारनपुर आकाश तोमर बताते हैं कि यह एक पूर्ण शाकाहारी कैफे है,यह हमारे प्रदेश के सबसे अनोखे कैफे में से एक है, यह कार्य पुलिसिंग और रचनात्मकता का एक अनुकरणीय प्रयोग साबित होगा। हमें विश्वास है कि लोग इसे पसंद करेंगे और अब पुलिस के बारे में एक अलग नजरिये से सोचेंगे। श्री तोमर ने बताया कि यह बेलआउट कैफे जो दिन-रात पुलिसकर्मियों लोगों की सेवा करते हैं ये उनको समर्पित है और उनके पास अपने फैमली के साथ समय बिताने का वक्त नहीं मिलता है। अब पुलिस परिसर में बच्चों के पास एक उम्दा कैफे होगा। वही आने वाले समय में इसे जोमैटो और स्वीगी जैसे ऑनलाइन एप से भी जोड़ा जायेगा।

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