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लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)। लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी प्रवेश और शोध की शुरुआत के लिए नई पीएचडी लखनऊ विश्वविद्यालय का पीएचडी अध्यादेश (2023) 12 सितम्बर को एकेडमिक काउंसिल में पारित किया गया।
अधिष्ठाता अकादमिक,प्रोफेसर गीतांजलि मिश्रा ने बताया कि नए पीएच.डी. अध्यादेश का मुख्य फोकस, नवाचार, अकादमिक उत्कृष्टता और परामर्श की संस्कृति को बढ़ावा देना है, यह नई पहल विश्वविद्यालय के इस समर्पण को दर्शाती है। जो हमारे डॉक्टरेट विधार्थियों को सर्वोत्तम संभव शोध अनुभव देने के लिए वचनबद्ध है। शोध के लिए पीएचडी में प्रवेश परीक्षा और इंटरव्यू आयोजित करने की परंपरा को जारी रखते हुए नए अध्यादेश में स्नातक महाविद्यालयों के शिक्षकों को पी एच डी गाईड बनने की अनुमति देने के साथ- साथ पी एच डी के दौरान छात्र अनुभव और अनुसंधान की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए कई नई पहल की गई हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए , प्रत्येक छात्र को एक सुपरवाइजर के साथ दो सह-सुपरवाइजरों की अधिकतम अनुमति दी जाएगी। ये सह-सुपरवाइजर विभिन्न शैक्षिक संस्थानों से हो सकते हैं या विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों से भी हो सकते हैं। सुपरवाइजरों की संख्या में वृद्धि का उद्देश्य छात्र को शोध के दौरान विभिन्न अनुभवों, ज्ञान, सुविधाओं और क्षमताओं का उपयोग करने और अनुसंधान के अंतःविषय स्वरूप को बढ़ावा देने के लिए है। उन्हांेने बताया कि हम उम्मीद करते हैं कि हमारे शिक्षक और छात्र इस अवसर का उपयोग ज्ञान की विभिन्न विधाओं से जुड़ने के लिए करेंगे, जिससे वे वैश्विक दर्जे के समाजोपयोगी अनुसंधान कर सकें। स्पष्ट है कि उच्च स्तरीय शोध किसी भी संस्थान की उन्नति का पहला कारक होता है। नवीन अध्यादेश में शोध प्रकाशन नैतिकता और अनुसंधान पद्धति और नवीन अनुसंधान दृष्टिकोण जैसे पाठ्यक्रम शामिल किये गए हैं और कोर्स वर्क को आठ क्रेडिट की जगह बारह क्रेडिट का किया गया है। शोध की गुणवत्ता को बढाने के लिए थीसिस मूल्यांकन के पैनल में जहाँ तक संभव हो अंतरराष्ट्रीय परीक्षकों की नियुक्ति भी शुरू की गयी है। अब शोध प्रबंध जमा करने की न्यूनतम अवधि तीन साल रहेगी अधिकतम यह अवधि छ साल की होगी। थीसिस जल्दी जमा करने के लिए छात्रों को प्रोत्साहित करने के लिए पर कम संख्या में अनिवार्य शोध प्रकाशन शामिल होते हैं। उन्होंने बताया कि 3-4 साल में जमा करने वाले छात्र को केवल एक शोध पत्र प्रकाशित करना होगा, जबकि 4-5 साल में जमा करने वाले को 2 शोध पत्र की आवश्यकता होगी और 5-6 साल में 3 शोध पत्र की आवश्यकता होगी। थीसिस के शीघ्र मूल्यांकन के लिए अब थीसिस सॉफ्ट कॉपी में जमा करवाई जायेगी।