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सरकार ने लगाया पीएफआई पर बैन, जानें क्या कहा संगठन ने

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नई दिल्ली। पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उससे जुड़े संगठनों के बैन होने के बाद अब पीएफआई ने संगठन को भंग कर दिया है. केरल में पीएफआई के राज्य महासचिव अब्दुल सत्तारी ने इस बारे में जानकारी दी है. अब्दुल सत्तारी ने बुधवार शाम को कहा, सभी पीएफआई सदस्यों और जनता को सूचित किया जाता है कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) को भंग कर दिया गया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की अधिसूचना जारी की है. हमारे महान देश के कानून का पालन करने वाले नागरिकों के रूप में संगठन निर्णय को स्वीकार करता है.
बता दें, सरकार ने कथित रूप से आतंकी गतिविधियों में संलिप्तता और आईएसआईएस जैसे आतंकवादी संगठनों से संबंध होने के कारण पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उससे जुड़े कई अन्य संगठनों पर पांच साल का प्रतिबंध लगा दिया है. पीएफआई और उसके नेताओं से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.

आतंकवाद रोधी कानून यूएपीए के तहत प्रतिबंधित संगठनों में रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गेनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल विमेंस फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पॉवर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन (केरल) के नाम शामिल हैं.
इससे पहले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद-उल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बुधवार को कहा कि उन्होंने हालांकि हमेशा पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के दृष्टिकोण का विरोध किया है, लेकिन कट्टरपंथी संगठन पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता.
ओवैसी ने कई ट्वीट में कहा, मैंने हमेशा पीएफआई के दृष्टिकोण का विरोध किया है और लोकतांत्रिक दृष्टिकोण का समर्थन किया है, लेकिन पीएफआई पर प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया जा सकता है.
उन्होंने कहा, इस तरह का प्रतिबंध खतरनाक है क्योंकि यह किसी भी उस मुसलमान पर प्रतिबंध है जो अपने मन की बात कहना चाहता है. जिस तरह से भारत की चुनावी निरंकुशता फासीवाद के करीब पहुंच रही है, भारत के काले कानून गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत अब हर मुस्लिम युवा को पीएफआई पर्चे के साथ गिरफ्तार किया जाएगा.
तेलंगाना में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता के. कृष्णा सागर राव ने आरोप लगाया कि गैर-भाजपा राज्य सरकारों ने वर्षों से अल्पसंख्यक तुष्टीकरण की अपनी राजनीतिक मजबूरी के चलते पीएफआई जैसे खतरनाक संगठनों को राष्ट्रीय स्तर पर विकसित होने दिया है.

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