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काबुल। अफगानिस्तान में शुक्रवार को सरकारी मीडिया में जारी ताजा आंकड़े के अनुसार, भीषण भूकंप के बाद मृतकों की संख्या बढक़र 1,150 हो गई है। ईंट और पत्थरों से बने घर भूकंप के कारण मलबे में तब्दील हो गए हैं और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ रही है। पहले से ही आर्थिक संकट का सामना कर रहे 3.8 करोड़ की आबादी वाले देश में लाखों बच्चों के गंभीर कुपोषण की चपेट में आने का खतरा है।
इस बीच छह तीव्रता वाले भूकंप ने हजारों लोगों का आसरा छीन लिया है। सरकारी मीडिया ने बताया कि बुधवार को आए भूकंप में करीब 3,000 मकान नष्ट हो गए या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए। स्थानीय रेड क्रीसेंट और वर्ल्ड फूड प्रोग्राम जैसे सहायता संगठन सबसे कमजोर परिवारों को भोजन और अन्य आपातकालीन जरूरतों जैसे टेंट और सोने के लिए चटाई आदि मुहैया करा रहे हैं।
सरकारी समाचार एजेंसी बख्तर के तालिबान निदेशक अब्दुल वाहिद रायन ने शुक्रवार को कहा कि पिछली रिपोर्ट के अनुसार 1,000 लोग मारे गए थे और ताजा रिपोर्ट के अनुसार मृतकों की संख्या बढक़र 1,150 हो गई है। उन्होंने कहा कि कम से कम 1,600 लोग घायल हुए हैं। मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय ने मरने वालों की संख्या 770 बताई है। गायान जिले में भूकंप से कम से कम 1,000 मकान क्षतिग्रस्त हो गए।
खोस्त प्रांत के स्पेरा जिले में 800 मकानों को नुकसान पहुंचा है, हालांकि आधुनिक इमारतें छह तीव्रता वाले भूकंप का सामना करने में सक्षम रहीं, लेकिन मिट्टी-ईंट के बने मकान और भूस्खलन संभावित पहाड़ ऐसे भूकंपों को और अधिक खतरनाक बनाते हैं। जर्मनी, नॉर्वे और कई अन्य देशों ने घोषणा की कि वे भूकंप प्रभावितों के लिए सहायता भेज रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वे केवल संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों के माध्यम से काम करेंगे, तालिबान के साथ नहीं, जिसे अब तक किसी भी सरकार ने आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।
भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री से भरे ट्रक पाकिस्तान के रास्ते अफगानिस्तान पहुंचे और मानवीय सहायता सामग्री से भरे विमान ईरान और कतर में उतरे। भारत ने कहा है कि उसकी सहायता सामग्री वहां मौजूद एक संयुक्त राष्ट्र एजेंसी और अफगान रेड क्रिसेंट सोसाइटी को सौंपी जाएगी।