Breaking News

कुलसचिव का है प्रयास, शिक्षा के साथ आत्मनिर्भर बने लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र

Getting your Trinity Audio player ready...

अभिषेक कुमार

कुलसचिव विनोद कुमार सिंह

लखनऊ,(माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः प्रधानमंत्री मोदी जहाँ एक ओर आपदा में अवसर तलाशने की बात कहते हैं, तो वहीं दूसरी ओर लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव ने वास्तव में ही आपदा को अवसर में तब्दील कर दिया है। आपको सुनने और पढ़ने में भले ही यह कुछ अजीब लगे लेकिन कोरोना काल में जब पूरा देश विभिन्न तरीके की पाबंदियों से जूझ रहा था, तब लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति व कुलसचिव ने शिक्षा का बेहतर माहौल तैयार करने के साथ ही लविवि को नैक रैकिंग में लाने का रोडमैप तैयार किया। इतना ही नहीं कुलसचिव ने लविवि को नैक रैकिंग में उच्च स्थान दिलाने में सफलता हासिल की है। विवि के रजिस्ट्रार नें छात्रों को शिक्षा अच्छा वातावरण, शिक्षकों की समस्याओं व उनके समाधान के लिए शासन स्तर पर सामजस्य बैठाने तक कई महत्वपूर्ण कार्यो को बखूबी निभाया है। उनकी कोशिश है कि छात्रों को शिक्षा के साथ ही स्वावलंबी बनाया जाये, जिससे पढ़े लिखे युवा नौकरी करने वाला ही नहीं बल्कि नौकरी देने वाला बन सके और समाज सुधार की दिशा में अपना अहम योगदान दे सके। विवि के ऐसे अनुभवी अधिकारी व कुलसचिव पद का दायित्व संभालने वाले विनोद सिंह ने माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी के संवाददाता अभिषेक से विशेष बातचीत में शिक्षा का महौल व छात्रों और शिक्षकों में बेहतर तालमेल बैठाने तक की रणनीति को खुल कर साझा किया, पेश है उनसे बातचीत के कुछ अंश।

सवाल- वर्तमान समय में बतौर कुलसचिव आप विवि में क्या क्या बदलाव देख रहे हैं।

जवाब- लखनऊ विवि शिक्षा के क्षेत्र में बहुत अच्छा कर रहा है और इसकी जो पुरानी गरिमा थी, प्रतिष्ठा थी न सिर्फ उसको मेंटेन रखा गया, बल्कि उसे समय के साथ आगे बढ़ाया गया। कह सकते हैं कि लखनऊ विवि शिक्षा के क्षेत्र में सफलता के नित नये कीर्तिमान स्थापित कर रहा है, बेहतर शिक्षा के महौल के कारण ख्लातिलब्ध विवि की श्रेणी में से एक है, यही कारण है कि यह देश ही नहीं बल्कि विदेशों से आने वाले छात्रों की भी पहली पसंद बना हुआ है।

सवाल- कुलसचिव के पद की दोबारा जिम्मेदारी संभालने के बाद आपके सामने क्या क्या चुनौतियां थी।

जवाब- मेरे कार्यकाल संभालने से लगभग एक माह पहले कुलपति आलोक कुमार राय ने भी कार्यभार ग्रहण किया था तो हम दोनों के लिए लखनऊ विश्वविद्यालय नया था और निश्चित तौर पर जो यहाँ की शैक्षणिक गतिविधियाँ थी उसको और आगे ले जाना और उसको नैक उत्कृष्टता की श्रेणी पर ले जाना एक हम लोगों की प्राथमिकता थी। कालांतर में कोविड आ गया और हम लोगों ने इस आपदा को अवसर मे बदला। इसकी जो प्रशासनिक व्यवस्था थी उसको कैसे दुरुस्त किया जाये। एजुकेशन के लिए और अच्छे ढंग से इसकी प्लानिंग कैसे की जाए और जो उच्च शिक्षा की रैंकिंग के लिए जो संस्थाएँ हैं उसमें कैसे पार्टिसिपेट किया जाए कोरोना काल के दौरान वक्त मिला। लविवि ने एक अच्छी रैकिंग प्रदेश में सबसे पहले नैक ए प्लस प्लस प्राप्त की। एनआईआरएफ रैंकिंग में भी और टाइम्स हायर एजुकेशन रैंकिंग में भी स्थान प्राप्त हुआ, काफी चुनौतियां थी जिनको दूर किया गया और लखनऊ विश्वविद्यालय को प्रदेश में ही नहीं बल्कि देश में भी एक अच्छा स्थान दिलाया है इसका एक अच्छा संदेश गया है।

सवाल – पूर्व में आपने कहां कहां की जिम्मेदारियों का निर्वाहन किया है।

जवाब– देखिए, पहले मैं गवर्नमेंट सर्विसेज में था और प्लानिंग डिपार्टमेंट में और जिला संख्या अधिकारी के पद पर कार्यरत था, इसके बाद डिप्टी डायरेक्टर भी रहा और 2018 में मेरी यहां नियुक्ति हुयी। सेंट्रलाइज सर्विस शिक्षा में इसके पहले अवध यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार के पद पर तैनात था कानपुर यूनिवर्सिटी में और लखनऊ विश्वविद्यालय में भी मैं पहले 2020 से जुलाई 2022 तक था। फिर कुछ समय के लिए आगरा विश्वविद्यालय में कुलसचिव के पद पर रहा फिर बीती एक जुलाई 2023 को मैंने विवि में कुलसचिव पद का कार्यभार ग्रहण किया।

सवाल- छात्रों को पढ़ने का उचित महौल मिले, इसके लिए क्या रणनीति अपनायी गयी है।

जवाब – लखनऊ यूनिवर्सिटी के कुलपति के नेतृत्व में विश्वविद्यालय में छात्र हितों का खास ख्याल रखा जाता हैं, छात्रों को पढ़ाई का उचित माहौल मिले इसके लिये लगातार प्रयास किये जाते रहते हैं, छात्रों के लिए छात्रावास में रहने, खाने सहित मूलभूत सुविधाओं का ध्यान रखा जाता है। छात्र केन्द्रित सारी व्यवस्थाओं के अन्र्तगत उनकी क्लासेस को रेग्युलर चलाना है। छात्रों में एक विश्वास का माहौल बना है कि विश्वविद्यालय जो भी कुछ कर रहा है, उनकी बेहतरी के लिए कर रहा है इससे छात्रों, शिक्षकों और प्रशासन के बीच एक अच्छा सामंजस्य है। मै विश्वास के साथ कह सकता हूँ की छात्रों के मध्य प्रशासन के प्रति शिक्षकों के प्रति अच्छा विश्वास पैदा हुआ है और आप देखेंगे कि विवि में शिक्षा का वातावरण पहले से काफी हद तक सुधर गया है। एक अच्छे अकडेमिक इन्स्टिट्यूशन्स की तरह एक अच्छी शैक्षिक व्यवस्था और बेहतर शैक्षिक माहौल देने का प्रयास किया जा रहा है।

सवाल- शिक्षकों की कमी एक बड़ी समस्या रही है, इसको आप कैसे देखते हैं।

जवाब- विश्वविद्यालय परिसर में शिक्षकों की कमी को काफी हद तक पूर्ण कर लिया गया है विभिन्न विभागों में लगभग सौ से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति और कुछ केस प्रमोशन्स करके पूरे हो गए हैं। वहीं अभी और आवेदन प्राप्त हो रहे हैं तो परिसर में और महाविद्यालयों में भी पैनल के माध्यम से शिक्षकों की नियुक्तियां बहुत तेजी से हो रही है। शिक्षकों की कमी की जो विगत वर्षों में समस्या थी, वह काफी हद तक दूर हो गई है।

सवाल- विदेशी छात्रों की संख्या साल दर साल बढ़ रही है, इसको लेकर क्या सोचते हैं।

जवाब- हम मानते हैं कि विदेशी छात्र राजस्व वृद्धि का अच्छा श्रोत होते हैं और हमारी गुणवत्तापरक शिक्षा का एक मापदंड है कि हम विदेशी छात्रों को आकर्षित कर पा रहे है ये संख्या अब लगातार बढ़ रही है। विश्वविद्यालय मे देश ही नहीं बल्कि विदेशों से इसके छात्र आकर्षित हो रहे हैं विश्वविद्यालय की साख बढ़ी है। लखनऊ विश्वविद्यालय जो कार्य कर रहा है, यहां पर जो प्लेसमेंट हो रहे हैं, और जो हमारी शिक्षण व्यवस्था हैं, वह बेजोड़ है।

सवाल- सरकार की प्राथमिकता है कि उद्योग परक शिक्षा को बढ़ावा मिले, इसके लिए क्या रणनीति अपनायी जा रही है।

जवाब- प्रधानमंत्री ने जो प्रण लिया है कि हम 2047 तक विकसित भारत बनेंगे। प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए लखनऊ विवि ने एक छोटा सा गिलहरि प्रयास किया है। छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में लखनऊ यूनिवर्सिटी द्वारा स्टार्टअप को प्रोमोट किया जा रहा है। इसके लिए हम छात्रों को उद्योग परक शिक्षा की तरफ ले जा रहे हैं, विश्वविद्यालय में और संबद्ध महाविद्यालयों में कई कोर्स संचालित हैं, जिससे उनको उद्योग परक शिक्षा प्राप्त हो रही है। इसके अलावा स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए विश्वविद्यालय में इनक्युबेसन् मिशन सेंटर की भी स्थापना हो गयी है और इसके माध्यम से भी हम लोग छात्रों में स्वरोजगार की भावना जागृत करने और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के लिए प्रयासरत है, जिससे अधिक से अधिक छात्र लाभान्वित हो सके।

सवाल- आपके नजरिये से भविष्य का विकसित लखनऊ विश्व विद्यालय कैसा होगा।

जवाब- सुधार एक अनवरत प्रक्रिया है, प्रतिदिन हमें सुधार करने की आवश्यकता होती है प्रतिदिन कार्य करना होता है और लखनऊ विश्वविद्यालय के जितने स्टेकहोल्डर्स है चाहे हमारे छात्र हों, शिक्षक हों, कर्मचारी हों, विश्व विद्यालय से संबंधित लोग है सभी इसमें कुछ ना कुछ कंट्रिब्यूट कर रहे हैं पॉजिटिव कॉन्ट्रिब्यूशन के साथ लखनऊ विद्यालय आगे बढ़ रहा है और हम सभी लोगों की शुभकामना है और पूरा विश्वास है कि लखनऊ विश्वविद्यालय और यहाँ के छात्र एक अपना अलग आयाम प्रदेश में स्थापित करेंगे

Check Also

 नाम पर संग्राम? अब बॉलीवुड सेलिब्रिटी और पॉलिटिशियन के बीच बयानबाजी शुरू

Getting your Trinity Audio player ready... लखनऊ, (माॅडर्न ब्यूरोक्रेसी न्यूज)ः बीते दिनों मुजफ्फरनगर प्रशासन ने …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *