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शिलॉन्ग। मेघालय उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लडक़ी से दुष्कर्म के आरोप में पूर्व विधायक जूलियस दोरफांग को 25 साल कारावास की सजा सुनाए जाने के निचली अदालत के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है।
मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी की अध्यक्षता वाली उच्च न्यायालय की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि आने वाली तीन महीनों के भीतर ही पीडि़त को 20 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाए।
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने पूर्व विधायक द्वारा दायर अपील को खारिज करते हुए कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए 25 साल की कैद की सजा इस बात की ओर इशारा करता है कि किन्हीं ठोस कारणों से ऐसा निर्णय लिया गया है। ऐसी स्थिति में इसमें हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।
इसके साथ ही, न्यायाधीश ने कहा, दोषी की उम्र को ध्यान में रखते हुए, ऐसा कार्यकाल 15 साल, 20 साल या 30 साल या बीच में कोई भी साल हो सकता है। अधिकतम सजा न देकर दोषी के लाभ के लिए विवेकाधिकार का प्रयोग किया जाता है।
पूर्व विधायक जूलियस दोरफंग ने री-भोई जिले में पॉक्सो के विशेष न्यायाधीश एफएस संगमा द्वारा पारित आदेश, जिसमें उन्हें अगस्त 2021 में जुर्माने के साथ 25 साल कैद की सजा सुनाई गई थी, उसको चुनौती दी थी।
हाई कोर्ट बेंच ने राजय को आदेश दिया था कि पीडि़ता को की सभी चिकित्सा आवश्यकताओं की देखभाल एक ग्रेड- सेकेंड अधिकारी के रूप में नि:शुल्क की जानी चाहिए। इसके साथ ही, उसे महिलाओं के लिए आयोजित कुछ शिक्षा कार्यक्रम प्रदान किया जाना चाहिए ताकि वह एक सामान्य और स्वस्थ जीवन का नेतृत्व कर सके।
प्रतिबंधित हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल के संस्थापक और अध्यक्ष दोरफांग ने 2007 में पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। बाद में उन्होंने 2013 में री-भोई जिले के मावाहाटी विधानसभा चुनाव से विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत हासिल की।
2017 में, उन पर विधायक रहते हुए 14 साल की एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने का आरोप लगाया गया। उन पर यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम और अनैतिक तस्करी रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया था।
वह नोंगपोह जिला जेल में बंद था, लेकिन मेघालय उच्च न्यायालय ने उसे 2020 में चिकित्सा आधार पर जमानत दे दी थी। अगस्त 2021 में पॉक्सो अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था।