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लखनऊ। महाकाल की नगरी में ऐसे कई देवी-देवता हैं, जो भांग और मदिरापान करते हैं. महाकाल को प्रतिदिन भांग चढ़ाई जाती है, वहीं काल भैरव दिनभर में कई लीटर शराब पी जाते हैं. इस शहर में देवी का एक मंदिर ऐसा भी है, जहां नवरात्र की महाअष्टमी के दिन कलेक्टर खुद अपने हाथों से उन्हें शराब पिलाते हैं. इसके बाद नगर पूजा के तहत समस्त देवी-देवताओं को यह भोग अर्पण किया जाता है. ये नगर का अतिप्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर चौबीस खंभा हैं. यहां महालाया और महामाया दो देवियों की प्रतिमाएं द्वार के दोनों किनारों पर स्थापित हैं.
सम्राट विक्रमादित्य भी इन देवियों की आराधना किया करते थे. यह मंदिर महाकालेश्वर मन्दिर के पास स्थित है. मंदिर मे 12वीं शताब्दी का एक शिलालेख लगा था, जिसमे लिखा था कि अनहीलपट्टन के राजा ने अवंतिका में व्यापार के लिए नागर और चतुवेर्दी व्यापारियों को यहां लाकर बसाया था. नगर रक्षा के लिए चौबीस खंभे लगे हैं, इसलिए इसे चौबीस खंभा दरवाजा कहते हैं.
प्राचीन समय में नवरात्र पर्व की अष्टमी पर जागीरदार, इस्तमुरार, जमींदारों द्वारा पूजन किया जाता था. आज भी यह परंपरा जारी है. जिसे कलेक्टर द्वारा निर्वहन किया जाता है. सम्राट विक्रमादित्य इन देवियों की आराधना किया करते थे. उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किए जाने की परंपरा चली आ रही है.
बताया जाता है कि पूर्व के समय मे यह द्वार श्री महाकालेश्वर मंदिर जाने का मुख्य प्रवेश द्वार रहा होगा. जो कि उत्तर दिशा की और बना हुआ है. इस द्वार में कुल 24 खंभे लगे हुए हैं इसीलिए इस क्षेत्र को 24 खंभा माता मंदिर कहा जाता है. यह द्वार विशालकाय है यहां माता महामाया और महामाया देवी की नित्य पूजा अर्चना की जाती है. पूर्व में यहां बलि दी जाती थी, लेकिन यह प्रथा कब से थी इसका उल्लेख कही भी नहीं मिलता है वर्तमान मे यहां बलि प्रथा वर्जित है.
शारदीय नवरात्र की महाअष्टमी 3 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी. इस दिन नगर पूजा की जाएगी. 24 खंभा माता मंदिर में महामाया और महालाया देवी को मदिरा का भोग लगाया जाएगा. साथ ही शहर के करीब 40 देवी और भैरव मंदिरों में मदिरा का भोग लगाया जाएगा. 24 खंभा माता मंदिर पर कलेक्टर आशीष सिंह पूजन करेंगे, इसके बाद तहसीलदार, पटवारी, कोटवार हाथों में सिंदूर व हांडी लेकर 27 किलोमीटर पैदल यात्रा करेंगे.