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चाचा और भतीजे के मधुर रिश्तों का गवाह पिछले कुछ साल से यूपी रहा है। ऐसा कोई भी मौका नहीं हुआ है कि जब चाचा और भतीजा आमने-सामने न आए हों। मसला चाहे कोई भी हो दोनो कभी भी एक ट्रैक पर नजर नहीं आए हैं। चाचा तो यहां तक कहते हैं कि आज दुर्दशा की वजह भतीजे का उनकी राय न मानना है। खैर इतना कुछ होने के बाद भी चाचा और भतीजा साथ-साथ हैं। समय-समय पर दोनो ओर से प्यार परवान चढ़ता भी दिखाई देता है लेकिन पता नहीं किसकी नजर लग गई है इनके प्यार भरे रिश्ते को…ये जितना ही करीब आना चाहते हैं उतना ही दूर हो जाते है। अब हाल ही वाक्या है, अचानक से भतीजे को सनद हुआ कि चाचा को अगली लाइन में बैठना चाहिए, तो उन्होंने तुरंत एक पाती लिख डाली कि चाचा को अगली पंक्ति में बैठाने की व्यवस्था की जाए लेकिन हाय रे वक्त का सितम…यहां पर इनके प्यार में तकनीकी टिï्वस्ट आ गया….और गेंद वापस भतीजे के पाले में है। अब देखना होगा कि भतीजे साहब चाचा को अगली लाइन में जगह देते हैं या फिर लाइन दे देते हैं।