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लखनऊ। सूडा मंे आउटसोर्स पर कार्यरत कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया है, जिससे इन कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। उधर निकाले गये कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री से पत्र के माध्यम से गुहार लगाई है।
सूडा में तैनात अनुचर, कम्प्यूटर ऑपरेटर और वाहन चालक के पद पर आधा दर्जन से अधिक कर्मचारी आउटसोर्स के जरिए अपनी सेवाएं दे रहे थे, इन्हें बीते बीते साल सितम्बर 2021 को निदेशक के मौखिक आदेश से इनकी सेवाएं समाप्त कर दी गयीं, जिससे इन कर्मचारियों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया, निकाले गये कर्मचारियों में अंकित सिंह, दीपक, रामप्रसाद, राकेश, अरविन्द कुमार, एजाज अहमद, रविक कुमार यादव, वेद प्रकाश दुबे, और सतीश शामिल है। न्याय की आस न देख, सभी कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री को सम्बोधित पत्र में रोजगार देने की गुहार लगायी है, कर्मचारियों का कहना है कि सूडा एक ऐसा विभाग है जहां सीमित कर्मचारी है, विभाग में केन्द्र और राज्य की महत्वाकांक्षी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। इन्हीं योजनाओं के संचालन को देखते हुये कार्य की आवश्यतकता पर हमें कई वर्ष पूर्व सूडा और डूडा में आउटसोर्स के माध्यम से रखा गया था, विभाग की योजनाएं अभी चल रही हैं, जिसमें सभी लोग पूरी निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करते थे, और जीवकोपार्जन करते थे। नौकरी से निकाले जाने पर सभी लोगों के सामने जीविका का संकट खड़ा हो गया है। इनमें से कुछ ऐसे भी हैं जो अपनी उम्र की ऐसी दहलीज पर खड़े हैं जिनको रोजगार मिलने की संभावना कम है। ऐसे में निदेशक का सख्त रूख इन पर किसी वज्रपात से कम नहीं। विभाग की निदेशक सुश्री यशु रूस्तगी की मेहनत और ईमानदारी पर जरा भी शक नहीं किया जा सकता, काम के प्रति जरा भी लापरवाही बिल्कुल बर्दाश्त नहीं। वहीं निदेशक सूडा के सख्त मिजाज से पूरा विभाग थर्राया रहता है यह भी एक सच्चाई है। इसी सख्त रवैये के कारण शायद विभाग के सभी कर्मचारियों और अधिकारियों का भी उनसे तालमेल ठीक ढंग से नहीं बैठ रहा है। वहीं निकाले गये कर्मचारियों के मुद्दे पर जब निदेशक सूडा से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की तो उनसे संपर्क नहीं हो पाया।