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लखनऊ। पायनियर माण्टेसरी स्कूल की एल्डिको शाखा में आज लखनऊ और बाराबंकी सहित सभी शाखााओं की अध्यापिकाओं, छात्रों व अभिभावकों का जमघट लगा था, मौका था स्कूल के 60वां स्थापना दिवस समारोह का। स्कूल के स्थापना दिवस के अवसर पर कर्मपथ पर कर्मयोगी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें स्कूल के बच्चों ने अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा का जौहर दिखाया तो सभागार में उपस्थित बड़े भी दंग रह गये। बच्चों की दमदार प्रस्तुति देखकर सभागार तालियों की आवाज से गंूज उठा। स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम स्कूल के संस्थापक स्व. प्रो. पूरन सिंह को समर्पित था। कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों ने इस शानदार कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए समर्पित स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती शर्मिला सिंह व मैनेजर डा. बृजेन्द्र सिंह की सराहना भी की।
एल्डिको शाखा में आयोजित पायनियर माण्टेसरी स्कूल के 60वें स्थापना दिवस समारोह की शुरूवात गणेश वंदना के साथ दीप प्रज्जवलन से की गयी। वहीं स्कूल के संस्थापक स्व. प्रो. पूरन सिंह की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उनको याद किया गया। स्व. पूरन सिंह के अथक प्रयासों की वजह से पायनियर स्कूल आज शहर के ख्यातिलब्ध स्कूलों में शुमार है, जिसमें न सिर्फ बच्चों को शिक्षा दी जाती है, बल्कि उनके सर्वांगीण विकास का बीड़ा उठाया जाता है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि सह निदेशक शिक्षा सुरेन्द्र कुमार तिवारी, अति विशिष्ट अतिथि अनिल रस्तोगी, विशिष्ट अतिथियों में कवि सर्वेश अस्थाना, डा. प्रदीप श्रीवास्तव(वैज्ञानिक), जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार, मंयक रंजन, अवधेश मिश्रा सहित तमाम गणमान्य लोग उपस्थित थे। स्थापना दिवस के मौके पर स्कूल के संस्थापक स्व.पूरन सिंह के जीवन के मुख्य अंश एवं उनके संघर्षो को स्कूल के बच्चों द्वारा एक नाट्य प्रस्तुति के जरिए दर्शाया गया। इसके अलावा बच्चों द्वारा दहेज के प्रदर्शन का विरोध, देश हित में स्वयं का योगदान, शिक्षा में संस्कारों का समावेश व गीता के उपदेशों से प्रभावित जीवन इन सभी भावों को नाट्य प्रस्तुति कर सजीव मंचन किया गया। इसके साथ ही विद्यालय की छात्र-छात्राओं द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों के जरिये दमदार प्रस्तुति दी तो सभागार में बैठे सभी लोग जोश से भर उठे, स्कूल के छात्र छात्राओं ने देशभक्ति के गीतों पर मनमोहक प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में उपस्थित लोगों को मंत्रमुग्ध कर दिया। बच्चों की प्रस्तुति से विद्यालय का सभागार तालियों से गुंज उठा। इस मौके पर डीआईओएस राकेश कुमार ने स्कूल की अध्यापिकाओं और बच्चों की दमदार प्रस्तुति की सराहना करते हुये कहा कि पायनियर स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में बेहद अलग मुकाम रखता है, उन्होंने कहा कि बच्चों को उच्च कोटि की शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ उनका सर्वांगीण विकास भी किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ अक्षर ज्ञान ही नही जीवन में व्यवहारिक ज्ञान भी बहुत जरूरी है। वहीं हास्य कवि सर्वेश अस्थाना ने कहा कि इस कार्यक्रम में उपस्थित होने के बाद उन्हें अपने बचपन के दिन याद आ गये, उन्हांेने बच्चों और अध्यापिकाओं को शुभकामनाएं भी दी।
क्या कहती है प्रधानाचार्या
एल्डिको शाखा की प्रधानाचार्या शर्मिला सिंह ने कहा पायनियर मोंटेसरी स्कूल के संस्थापक स्व. पूरन सिंह ने समाज में शिक्षा और संस्कार देने के लिए स्कूल रूपी जो पौधा रोपा था, वह आज वट वृक्ष बन कर देश और प्रदेश में ख्याति अर्जित कर रहा है, ज्ञान के इस मंदिर से पढ़ कर निकलने वाले तमाम छात्र आज विभिन्न क्षेत्रों में देश और समाज का नाम रौशन कर रहे हैं। यह स्व. पूरन सिंह की ही परिकल्पना थी कि छात्रों को कुछ इस तरह की स्कूली शिक्षा मिले जिससे कि छात्र सिर्फ किताबी ज्ञान तक ही न सिमित रह सके बल्कि उनका बौद्धिक विकास के साथ ही सर्वांगीण विकास हो सके जिससे वह देश और समाज के लिए एक जिम्मेदार नागरिक का फर्ज निभा सके। यद्यपि स्कूल के संस्थापक स्व.पूरन सिंह आज इस दुनिया में नहीं हैं, पर उनके विचारों और सपनों में एक -एक कड़ी जुड़ती जा रही है, स्व. पूरन सिंह के सपनों को साकार करने के लिए पॉयनियर स्कूल के समस्त स्टाफ का अहम योगदान रहा है।
क्या कहते हैं स्कूल के मैनेजर
स्कूल के मैनेजर डा. बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि समस्त शिक्षक-शिक्षिकाओं व अन्य स्टाफ की मेहनत व लगन से वर्ष 1963 में नन्हें से पौधे के रूप में रोपा गया पायनियर मोंटेसरी स्कूल आज पीएमएस डिग्री कॉलेज तक का सफ़र तय कर चुका है। पायनियर माण्टेसरी स्कूल का सदैव लक्ष्य रहा है कि अपने छात्र-छात्राओं को इस प्रकार शिक्षा दे जिससे वे अपनी वार्षिक परीक्षा के साथ-साथ जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें। हमें अत्यंत गर्व है अपनी शिक्षा पद्धति पर, जिसके आधार पर हमारे छात्र-छात्राओं ने सिद्ध किया है कि किसी भी परीक्षा में उन्हें किसी सहारे की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह सर्वविदित है कि जिस इमारत की बुनियाद मजबूत हो उस इमारत को कोई भी तूफ़ान हिला नहीं सकता। हमें आशा है कि हमारे अभिभावकों का सहयोग व हमें उसी प्रकार प्राप्त होता रहेगा एवं हम और अधिक उत्साह एवं लगन से अपने छात्र-छात्राओं के भविष्य को संवारने में अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते रहेंगे।